मैं, और मेरा प्यार

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बात उन दिनों की है जब मैं स्कूल में था। मुझे एक लड़की से प्यार हो गया। उस समय मैं 12वीं कक्षा में था। लड़की दसवीं में थी। मैंने सरकारी नौकर बनने की सोची और तैयारी करनी शुरू कर दी। पहले साल बैंक के लिए पेपर दिये लेकिन चयन नहीं हुआ। मैंने हारे जुआरी की तरह दोगुने उत्साह के साथ मेहनत की। दूसरे साल भी मेरा चयन नहीं हुआ। दो साल निकल चुके थे और मेरा प्यार बारहवीं में पहुंच चुका था।
मैंने फिर बैंक और एसएससी के लिए अप्लाई किया। इस बीच तीन साल निकल गये। मेरा प्यार बीएससी कर चुका था। मैं ओपन से ग्रेजुएशन करने लगा और समूह ग की तैयारी करने लगा। मैं सरकारी नौकरी के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा था। कोचिंग ले रहा था। देश में जहां भी एग्जाम होता वहां जा रहा था। इस बीच दो साल और निकल गये। मेरा प्यार एमएससी कर चुका था।
मैं आज भी सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटा हूं। आज मेरे प्यार की शादी है और उसने मुझे गेस्ट के तौर पर निमंत्रण भेजा है। उसमें उसमें जाना है।
एक सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के दिल की बात।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

एक ओपी के हटने से कोई फर्क नहीं पड़ता, सिस्टम बदले तो बात बनें

 

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