मधुदीप की लघुकथाः समय का पहिया घूम रहा है
शहर का प्रसिद्ध टैगोर थिएटर खचाखच भरा हुआ है। जिन दर्शकों को सीट नहीं मिली है वे दीवारों से चिपके खड़े हैं। रंगमंच के पितामह कहे जानेवाले नीलाम्बर दत्त आज अपनी अन्तिम प्रस्तुति देने जा रहे हैं। हॉल की रोशनी धीरे-धीरे बुझ रही है, रंगमंच का पर्दा उठ रहा है। दृश्य: एक तेज रोशनी के … Continue reading मधुदीप की लघुकथाः समय का पहिया घूम रहा है
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