बातों का तूफान: दीदी ओ दीदी के बाद अब्बा जान

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file photo source: social media

दीदी ओ दीदी… की अपार सफलता के बाद अब आ गया अब्बा जान, बंगाल के चुनावी संग्राम में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे की जुबान से एक महिला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ललकारते हुए अंदाज में दीदी ओ दीदी बोल बीजेपी का डिब्बा गोल कर बैठे। देश के सबसे बड़े प्रदेश में चुनावी बिगुल फूंक दिया गया है और बातों के तूफान में देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुखिया का तंज भरा तीर “अब्बा जान” जुबानी जंग का धारदार हथियार बन वार, प्रतिकार की मिसाल बना विपक्ष को बेचैन कर रहा है। खुद को संस्कार की जननी बताने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कोख से जन्मी बीजेपी में संघ ने कैसे संस्कार भरे हैं यह बताने के लिए बीजेपी नेताओं की जुबान ही काफी है। इन जुबांवीरो की जुमलेबाजो की टोली में तूती बोल रही है, एक से बढ़कर एक बातों का तूफान बनाने वाले अफलातून से भरी पड़ी हैं फूल वालों की ये पार्टी। दल का आदर्श मुखिया ही होता है मुखिया ही जब सरेआम मंच से एक महिला मुख्यमंत्री को अपमानित करने वाली शैली में दीदी ओ दीदी कहकर ललकारने का राग अलाप रहा हो तो फिर छूट भैया नेताओं को भला कौन क्या समझा, सिखा, बता सकता है।
ये बदजुबानी की आजादी, बेतुके बोल का ढोल, अभिमान की शैली, बातों का पहाड़ बना बातरस बांटने वाले बीजेपी के नेताओं के बयान सुन आप सन्न रह जाएंगे। सोचने को मजबूर हो जायेंगे क्या ये समाज का नेतृत्व करने लायक हैं? क्या सच ये देश की सबसे बड़ी पंचायत में बैठने की काबिलियत रखते हैं? सबका साथ सबका विकास संकल्प के सारथी ही बन साथ चल सकते हैं? सोचिए इनके बातों के रोज फूटते बम समाज को क्या संदेश दे रहे हैं? क्या सरकार बन जाना कुछ भी बोलने, कहने, बताने की आजादी देता है? क्या सरकार की कोई मर्यादा नहीं होती? क्या सरकार की कोई जवाबदेही नहीं? जुबान पर लगाम कसने वाला कोई नहीं?
इन दिनों अब्बा जान, अब्बा जान बोल जोर से जोश से दहाड़ उत्तर प्रदेश के मुखिया सुर्खियों में हैं भाषणों में जमकर बरस रहे हैं, उसी पुराने धुन पर जिसकी महारत हासिल है उन्हें। कभी अपनी जान की सुरक्षा मांगते भरी संसद में फूट-फूटकर रोने वाले अजय सिंह बिष्ट उर्फ योगी बाबा के मुख मंडल से अब्बा जान का उच्चारण तूफान बन कोहराम मचा रहा है। अभी तो शुरुआत है अभी तो जुबानी जहर की कुछ बूंदे ही गिरी हैं। चुनाव चरम पर होगा तो राम जाने कौन-कौन, क्या-क्या, कैसे-कैसे बोल बोलेगा? कान खोल कर, दिल संभाल कर रखना ये नेतागीरी है यहाँ सब जायज है। बाबा के बोल मुख्यमंत्री बनने से पहले भी आग लगाऊ ही थे आज भी कोई अंतर नहीं आया मालूम होता है। बाबा जी के जुबान की ज्वाला जस की तस बरबस बरस रही है ये आग आने वाले समय में और प्रचंड होगी क्योंकि जब आगाज़ आज ही ऐसा है तो अंजाम क्या होगा? सोच कर ही कलेजा मुँह को आता है।
बाबाजी इकलौते बोलवीर नहीं हैं, बाबा से भी बढ़कर बोलबाजों से भरी पड़ी है बीजेपी। बड़े कद के नेता राधा मोहन ने तो ओवैसी को वायरस बता यहाँ तक कह दिया इन जैसों का इलाज बीजेपी के पास ही है। इंसान कैसे वायरस हो गया यह माँ राधा की दी आँखों से दिखा या मोहन की प्रदान दिव्य दृष्टि से राधामोहन बता नहीं पाए। बीजेपी में भगवा भेष धारियों के चिमटे से ज्यादा जुबान बजती है। इनमें शुमार हैं साध्वी प्राची जिन्होंने शंखनाद कर भरी सभा से आह्वान किया की उन्हें “मुस्लिम मुक्त भारत चाहिए” किसी ने क्या बिगाड़ लिया उनका, कुछ नहीं, फिर क्या एक ओर साध्वी निरंजन ज्योति ने ललकारा “दिल्ली में रामजादो की सरकार बनेगी या हरामजादो की” जनता को तय करना है। ज्योति की जुबानी ज्वाला गौरवमयी देश के गलियों में धधकी फैली और भारतीयता के मान को तपिश में घेर भी लिया पर उनका बिगड़ा कुछ नहीं। एक और बाबा जो गेरुए रंग में रंगे इन्हीं की तरह सांसद हैं पूरा देश उनकी बदजुबानी का साक्षी है, साक्षी महाराज तो जब भी बोलेंगे मानो जहर ही घोलेंगे। संत की दीक्षा पाकर संत से सांसद बने साक्षी महाराज ने गृहस्थ आश्रम की महिलाओं को झकझोर कर रख दिया, ज्यादा बच्चा पैदा करने की जरूरत को समझाते हुए साक्षी महाराज महिलाओं को बच्चा पैदा करने का कारखाना बनाने पर तुल गए हैं वो सरेआम सलाह देते हैं हिंदू महिलाओं को चार बच्चे पैदा करने चाहिए ताकि हिंदू धर्म की रक्षा हो सके ये वही साक्षी महाराज हैं जिन्होंने “राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के हत्यारे को राष्ट्रभक्त बता शहीद कहने का दुस्साहस भी किया था।” इनकी भी सोच से आगे बहुत आगे बढ़ महाराष्ट्र के एक नेता जिन्होंने खुद बेटियों का अपहरण कर जबरन शादी कराने का काम शुरू करने का मन बना लिया है, शिवसेना ने उनका नाम रावण कदम रखा वैसे राम भक्तों के दल में राम कदम के नाम से विख्यात हैं पर उनका काम कुख्यात रावण सरीखा कारनामा से कम नहीं। जन्माष्टमी के दिन जवानों की टोली देख उनकी बोली फूटी महोदय ने संबोधन किया “अगर आप किसी लड़की से प्यार करते हैं और वह नहीं मानती, तो मुझे बताएं मां-बाप के साथ मेरे पास आए, मां बाप भी नहीं मानते तो मैं उस लड़की को उठा कर लाऊंगा, और उसे आपके पास सौप दूंगा।” यही काम माँ सीता के साथ लंकापति पहले कर चुका है, अंजाम भी दुनिया जानती है अब बीजेपी के राम कदम दुश्शासन, दशानन की राह पर बेटियां उठाने की जिम्मेदारी अपने कांधे पर ले जवानों में जोश भर रहे हैं। तालिबानी भी तो यही कर रहे हैं, तालिबानी भी महिलाओं से यही कह रहे हैं। राम कदम बीजेपी नेता हैं, सरकार बीजेपी की है, जो जी में आए कह सकते हैं, कर सकते हैं, महिलाओं को बेटियों को घर से उठा सकते हैं। संविधान के सम्मान, समझ से परे इन जुबांबाजो के बोल बल की आत्मा समाज के बंधन पर बार-बार करारा प्रहार कर रही है। पर संविधान का ही क्या? जब बीजेपी की चाह ही बाबा साहब के संविधान को ही बदलने की मंशा रखती है। सत्ता में आने का मकसद ही संविधान में लिखे को मिटा नए तरह से लिखने की बीजेपी की महत्वपूर्ण मंशा राज्यसभा सांसद और कद्दावर नेता अनंत कुमार हेगड़े ने भरी सभा में बीजेपी की नीति को उजागर करते हुए चेतावनी दे ही चुके हैं “भाजपा संविधान को बदलने के लिए सत्ता में आई है और कुछ दिन में बदल भी देंगे।” बीजेपी के एक नेता ने तालिबानी युद्ध शैली को आदर्श मान उसी अंदाज में विपक्ष पर वार करने का पैगाम दिया है। त्रिपुरा के विधायक अरुण चंद ने बीजेपी कार्यकर्ताओं का आह्वान किया “तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर तालिबानी स्टाइल से हमला करो।” महंगाई पर सवाल पूछने पर बीजेपी कटनी अध्यक्ष रामरतन पायल ने जुबान से पत्रकारों को घायल कर दिया कह दिया “महंगाई बढ़ रही है तो तालिबान चले जाओ वहाँ पेट्रोल सस्ता है।”
अहंकार अभिमान में भी बीजेपी के बोलबच्चन नेताओं की कमी नहीं अभिमान के सागर में डूबी छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रभारी डी पुद्देश्वरी ने थूक की महिमा का बखान करते हुए, थूक बाजी का नया मंत्र, थूक की अचूक शक्ति का बखान कर बीजेपी कार्यकर्ताओं के थूकबल को महिमामंडित करते हुए कहा बीजेपी के कार्यकर्ताओं के थूक में इतनी शक्ति समाई है कि “पलट कर थूक दिया तो उनके थूक में ही बह जाएगी बघेल सरकार” थूक का दरिया मुँह में दबाए बीजेपी कार्यकर्ताओं की अदृश्य शक्ति से देश और दुनिया को सुलभ दर्शन कराने वाली डी पुद्देश्वरी जी के थूक ज्ञान को क्या कहेंगे? विपक्ष तिनका है जो थूक में बह जाएगा या जनता के मत से चुनी सरकार… यह सोच बताती है कि विपक्ष का सम्मान फूल दल में कितना है। विपक्ष के सम्मान की कहानी तो सच मायने में उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष वशीधर ने लिखी विपक्ष नेता के सम्मान शब्द को ही कलंकित कर दिया जब उन्होंने कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता स्वर्गीय इंदिरा हरदेश को मंच से बुढ़िया कह कर संबोधित किया और बोला बुढ़िया हम तेरे पास किसलिए आएं तेरे पास है ही क्या? बंशी की इस निंदा धुन को सुन तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने ट्वीटिया माफी भी मांगी थी। पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रमाशंकर कठेरिया ने तो कानून, संविधान, थाना, पुलिस, अदालत सबको पीछे छोड़ खून का बदला खून का इरादा जाहिर किया है। हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने ममता बनर्जी को समुद्र में जाने की सलाह दे डाली तो एक और गणना ज्ञानी नेता ज्ञानदेव आहूजा ने जेएनयू परिसर में बिखरे पड़े कंडोम और शराब की शिशियां गिन बयान दिया “रोज हजारों कंडोम और शराब की शीशी मिलती हैं।” संगीत सोम ने इतिहास के पन्नों को पलट ताजमहल गद्दारों ने बनाया यह बात बताई तो वही गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी इस बयानबाजी में पीछे ना रहे ऋषि पुत्र नारद को गूगल बता आईना दिखा दिया, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विपल्व देव ने महाभारत काल में पेन ड्राइव और इंटरनेट की मौजूदगी को प्रमाणित करने की बात कही तो याद आया कोहरे में हवाई हमला और नाले की गैस के आविष्कार नाले से चाय उबालने का बयान हम सब सुन ही चुके हैं याद भी होगा ही।
ये तो बयानों की एक छोटी सी बानगी भर है, जो रोज बोले ही जाते हैं कभी पाकिस्तानी, कभी तालिबानी, कभी देशद्रोही तो कभी नेता विरोधी संबित पात्रा ने तो हद ही कर दी थी जब मोदी को देश का पिता ही बता दिया था। सवाल पूछने वाले को विरोधी हिंदू, राष्ट्र विरोधी, करार दे ये बातचंद हर उस इंसान को माथे पर सर्टिफिकेट चिपका ही देते हैं। ये बातरस के सरताज जो भी सरकार को घेरता है ये उसे घेर लेते हैं, अब इन महापुरुषों को कौन समझाए सरकार देश नहीं है? सरकार संविधान नहीं है? सरकार मनमानी नहीं है? सरकार अंधी भी नहीं होती? सरकार पूरे देश की होती है एक-एक नागरिक के अधिकारों की रक्षा, सुरक्षा, सम्मान की जिम्मेदारी सरकार के कंधे पर ही होती है। पर जब सरकार ही जुबानी जंग में उतर तंग करने लगे तो फिर राम ही राह दिखाएं।

पंडित संदीप
(ये लेखक के निजी विचार हैं। लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है। इसके लिए aks.news किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है।)

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