इस्लाम के नाम पर कोरा उन्माद

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मज़हब के नाम पर कितनी पशुता हो सकती है, इसके प्रमाण हमें अफगानिस्तान और पाकिस्तान, हमारे ये दो पड़ौसी दे रहे हैं। अफगानिस्तान में तालिबान ने सरकार के प्रमुख प्रवक्ता दावा खान मेनापाल की हत्या उस वक्त कर दी, जो नमाज का वक्त था और उन्होंने पख्तिया नामक प्रांत के एक गुरुद्वारे के ध्वज को उतार डाला। कुछ माह पहले उन्होंने एक सिख नेता का अपहरण कर लिया था और काबुल में 20 सिखों को मार डाला था। यह सब कुकर्म इस्लाम के नाम पर किया गया जबकि कुरान शरीफ कहती है कि मजहब के मामले में जोर-जबरदस्ती को कोई जगह नहीं है। पाकिस्तान में तो मजहब के नाम पर क्या-क्या नहीं हो रहा है? पंजाब प्रांत के भोंग शरीफ इलाके में एक गणेश मंदिर को लोगों ने तोड़फोड़ कर गिरा दिया। यह मंदिर उन्होंने इसलिए गिराया कि वे एक आठ साल के हिंदू बच्चे की एक हरकत से नाराज हो गए थे। उस बच्चे ने किसी मदरसे के पुस्तकालय के गलीचे पर पेशाब कर दिया था। हिंसाप्रेमी लोगों का कहना है कि उस पुस्तकालय में पवित्र ग्रंथ रक्खे थे। इस छात्र ने वहाँ पेशाब करके धर्मद्रोह का अपराध किया है। उसे ईश निंदा कानून के तहत गिरफ्तार करवा दिया गया लेकिन उसे अदालत ने जमानत पर रिहा कर दिया।

इसी कारण लोगों ने गणेश मंदिर को ढहाकर बदला ले लिया। लोग मंदिर पर घंटों हमला करते रहे और पुलिस खड़े-खड़े देखती रही। यह इस बात का प्रमाण है कि मजहबी उन्माद यदि किसी की मति हर लेता है तो किसी को निकम्मा बना देता है लेकिन सबसे ज्यादा संतोष की बात यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सर्वोच्च न्यायालय ने इन मजहबी उग्रवादियों की कड़ी निंदा की है और उन्हें कठोर सजा दिलवाने का इरादा जाहिर किया है। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने पंजाब प्रांत के सर्वोच्च पुलिस अधिकारियों को भी न्याय के कठघरे में खड़ा कर दिया है। जज अहमद ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा है कि गणेश मंदिर कांड के कारण सारी दुनिया में पाकिस्तान की बदनामी हुई है। पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र देश है, जो मजहब के नाम पर बना है। वहां तो मजहब के नाम पर ऐसे काम होने चाहिए, जिनसे इस्लाम का मस्तक ऊँचा हो सके। पाकिस्तान के आचरण को देखकर दुनिया के हिंदू, यहूदी, बौद्ध और ईसाई राष्ट्र इस्लाम की अच्छाइयों से सीखने की कोशिश करें लेकिन पाकिस्तान में इस्लाम के नाम पर आतंकवाद को फैलाना, गैर-मुसलमानों को डराना-धमकाना, करोड़ों लोगों को गरीबी की भट्ठी में झोंके रखना उसकी मजबूरी बन गई है। पता नहीं, वह पाकिस्तान, जो कभी हमारे परिवार का ही हिस्सा था, वह कभी सभ्य और सुसंस्कृत राष्ट्र की तरह जाना जाएगा या नहीं?

An eminent journalist, ideologue, political thinker, social activist & orator

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
(प्रख्यात पत्रकार, विचारक, राजनीतिक विश्लेषक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं वक्ता)

शादियों में मजहब का अड़ंगा?, डॉ. वेदप्रताप वैदिक की कलम से

 

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