कानपुर टेस्ट मैच के चौथे दिन के तीसरे सत्र में जब साहा और अक्षर पटेल बल्लेबाजी कर रहे थे तब उनकी सोच स्पष्ट नहीं थी। दोनों बल्लेबाजों ने करीब 70 रन की साझेदारी जरूर की, लेकिन उनका लक्ष्य स्पष्ट नहीं था। वह भारत को सुरक्षित स्कोर तक ले जाना चाहते थे, ना की जीत के लिए खेल रहे थे। दोनों ने तेज बल्लेबाजी नहीं की। अक्षर जैसे बल्लेबाज ने सिर्फ 40 की औसत से रन बनाए। अगर उन्हें स्पष्ट निर्देश होता तो वह 50 गेंद पर 60 रन बनाने वाला बल्लेबाज है।
पांचवें दिन के प्रथम सत्र में भी भारत का रवैया पेशेवर और आक्रमक नहीं था। एजाज पटेल 10 नंबर के बल्लेबाज के लिए जैसी फील्ड सजाई गई और 8 भारतीय क्षेत्ररक्षकों ने घेर कर रखा था। वैसी ही आक्रामक फील्ड दूसरे सत्र में ही सजाई जानी चाहिए थी, क्योंकि Tom lautham का विकेट गिरने तक 55वें ओवर में न्यूजीलैंड का स्कोर सिर्फ 118 रन था, यानी कि वे ड्रा के लिए खेल रहे थे। रॉस टेलर जब आउट हुए 125 के स्कोर पर तब तक 63 ओवर हो चुके थे। इन सब कारणों से विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में भारत दूसरे नंबर पर ही रहेगा। यदि उसे यह मैच जीतने पर 12 अंक मिल जाते, तो संभवतः वह प्रथम स्थान में पहुंच जाता और फाइनल के लिए रास्ता तैयार होता। जीता हुआ मैच ड्रा होने से भारत को सिर्फ 4 अंक से संतोष करना पड़ा।
-नीलम चौधरी