टोक्यो ओलंपिकः 49 साल बाद हाकी के सेमीफाइनल में भारत

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photo source: twitter/Team India

इंग्लैंड को 3-1 से हराया

भारत ने आज 1 अगस्त को टोक्यो ओलंपिक 2020 के क्वार्टर फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड को 3 के मुकाबले 1 गोल से पराजित कर दुनिया के महानतम हाकी खिलाड़ी हाकी के जादूगर ध्यानचंद और उनके पदचिन्हों पर चलते हुए भारतीय हाकी की चमक को दुनिया में बनाए रखने वाले महान हाकी खिलाडि़यों की यादों को ताजा कर दिया है। भारत ने 49 साल पश्चात् आज ओलंपिक के सेमीफाइनल में प्रवेश पाया। इससे पहले 1972 म्युनिक ओलंपिक में भारत ने सेमीफाइनल में प्रवेश किया था। मैच शुरू होने के तीसरे मिनट में ही इंग्लैंड ने पेनाल्टी कॉर्नर अर्जित कर लिया था, जिसे भारत की मजबूत रक्षा पंक्ति ने शानदार बचाव करते हुए बेकार कर दिया। इसके बाद भारत ने इंग्लैंड पर सुनियोजित हमला बोला और खेल के सातवें मिनट में सिमरनजीत सिंह ने डी के अंदर गोल मुहाने पर खड़े दिलप्रीत सिंह को सुंदर पास फेका, जिसे दिलप्रीत सिंह ने बहुत ही सफाई से खूबसूरत मैदानी गोल कर भारत को मैच में बढ़त दिला दी।
भारत ने अपने सुंदर खेल का प्रदर्शन जारी रखा और भारत ने दूसरे क्वार्टर में अपने हमले को जारी रखा और क्वार्टर के शुरू होते ही गुरजंत सिंह ने भारत के लिए दूसरा शानदार गोल कर टीम को दो गोलों की बढ़त दिला दी। तीसरे क्वार्टर में इंग्लैंड के खिलाडि़यों ने बेहतर खेल खेला और पेनाल्टी कॉर्नर से गोल करके भारत की बढ़त को कम किया। किंतु चौथे क्वार्टर में भारत के खिलाड़ी एक नई लय में दिखाई दिए और भारत के मिडफिल्डर हार्दिक सिंह ने इंग्लैंड की 25 गज की रेखा से गेंद पर नियंत्रण बनाते हुए डी में प्रवेश के साथ ही तेज हिट इंग्लैंड के गोल पर ली, किंतु गोलकीपर के पैड से गेंद रिबाउंड होकर डी के ऊपर गेंद फिर हार्दिक सिंह को मिली जिसे संभालते हुए हार्दिक ने बिना कोई गलती किए तेज हिट से इंग्लैंड गोलपोस्ट के पटिए बजा दिए और इसी जोरदार पटिए से निकलती आवाज ने इस बात का ऐलान कर दिया की भारत ने इंग्लैंड को 3 के मुकाबले 1 गोल से पराजित करते हुए 49 साल के बाद ओलंपिक हाकी के सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया है।
आज के मैच के सबसे बड़ी विशेषता यह रही की भारत ने एक भी पेनाल्टी कॉर्नर अर्जित नहीं किया और तीनों गोल मैदानी करके भारतीय हाकी खिलाडि़यों ने दुनिया को बता दिया की वे मैदानी गोल करने के महारथी रहे है। भारत के खिलाडि़यों ने आज जीत हासिल करके भारत के महान हाकी खिलाडि़यों की यादों को ताजा कर दिया है। भारत का सेमीफाइनल में बेल्जियम से मुकाबला होना है। आज 1 अगस्त है और आज के ही दिन महात्मा गांधी ने सन् 1920 में अंग्रेजो के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की थी और अपने साहस, धैर्य, संयम से पराजित करते हुए देश को आजाद किया था ठीक उसी धैर्य, साहस संयम से खेलते हुए भारतीय हाकी टीम ने इंग्लैंड को पराजित कर दिया। भारतीय हाकी टीम ने आज इंग्लैंड से रियो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में मिली 3-0 से पराजय को भी चार साल बाद जीत में बदलकर इतिहास रच दिया और भारत ने ओलंपिक हाकी में पदक की आशा को जीवित कर दिया है।
इस जीत के बाद भारत के विश्व विजेता हाकी टीम के और 1972 म्यूनिख ओलंपिक भारतीय हाकी टीम के सदस्य जो कांस्य पदक विजेता रहते हुए उस ओलंपिक के सेमीफाइनल में खेले थे अशोक कुमार आज भारत की जीत पर अपनी खुशी के अश्रु रोक नहीं पाए वे निःशब्द बस यह कह पाए की आज भारतीय हाकी खिलाडि़यों ने भारत के महान हाकी खिलाडि़यों को यह जीत देकर हमारे सुनहरे दौर को पुनर्जीवित कर दिया है और आगे कहा कि हमारी विश्व विजेता भारतीय हाकी टीम म्युनिख हाकी टीम की ओर से भारतीय हाकी टीम खिलाडि़यों को शुभकामनाएं और बधाई। साथ ही भारत की बेटी शटलर पी वी सिंधु के कांस्य पदक जीतने पर उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी है। हम सभी देशवासी आशावान है की भारतीय हाकी टीम टोक्यो ओलंपिक 2020 में अवश्य पदक के पोडियम पर खड़े होने के लिए तैयार है और सभी करोड़ों देशवासी टीम की जीत पर उत्साहित है और आपके फाइनल पहुंचने के लिए हम आपका स्वागत करने के लिए प्रतीक्षारत है।

-हेमंत चंद्र दुबे बैतूल

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