ओबीसी जाति प्रमाण पत्र को तीन साल की छूट देने की मांग

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  • डीटीए और टीचर्स फोरम ने पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन से मुलाकात की
  • कोरोना बीमारी के चलते नहीं बन पा रहे हैं अन्य पिछड़ा वर्ग छात्रों के जाति प्रमाण पत्र

नई दिल्ली, 5 अगस्त। आम आदमी पार्टी के शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) और दिल्ली यूनिवर्सिटी एससीध्एसटी/ओबीसी टीचर्स फोरम का एक प्रतिनिधि मंडल आज डीटीए के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन व फोरम के अध्यक्ष डॉ. कैलास प्रकाश सिंह यादव के नेतृत्व में दिल्ली पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन जगदीश यादव से मिला और उन्हें एक ज्ञापन दिया। ज्ञापन में उनसे दिल्ली विश्वविद्यालय व दिल्ली के अन्य शिक्षण संस्थानों/कॉलेजों में प्रवेश के समय अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों के जाति प्रमाण पत्रों को तीन साल की छूट दिए जाने की मांग की है। प्रतिनिधि मंडल में डॉ. नरेंद्र पाण्डेय ,डॉ. आशा रानी, सुनील कुमार और राजकुमार भी शामिल थे।
डीटीए के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन व टीचर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ. कैलास प्रकाश सिंह यादव ने उन्हें बताया कि हर साल प्रवेश प्रक्रिया के समय सबसे ज्यादा दिक्कतें अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के छात्रों के सामने आती हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय व अन्य विश्वविद्यालयों का शैक्षिक सत्र शुरू हो गया है। आपको बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों और विभागों में शैक्षिक सत्र 2021-22 के अंडरग्रेजुए/पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स, डिप्लोमा कोर्स, सर्टिफिकेट कोर्स के अलावा एमफिल और पीएचडी जैसे कोर्स में रजिस्ट्रेशन/एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। कोरोना बीमारी के कारण काफी संख्या में अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्र अपने जाति प्रमाण पत्रों का नवीनीकरण नहीं करवा सके हैं। टीचर्स फोरम और डीटीए यह मांग करता है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के जाति प्रमाण पत्रों के नवीनीकरण के लिए तीन साल की छूट दी जाए जिससे वे विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने से वंचित न रह सकें। फोरम यह भी मांग करता है कि जिन अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के छात्रों ने वर्ष 2019 में अपने जाति प्रमाण पत्र बनवाए थे, उनके प्रमाण पत्र स्वीकार कर उन्हें प्रवेश दिया जाए।
टीचर्स फोरम और डीटीए अध्यक्ष ने उन्हें बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते पिछले डेढ़ साल से एसडीएम कार्यालय व तहसील कार्यालय में जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहे हैं और न ही जाति प्रमाण पत्रों का नवीनीकरण ही हो रहा है, इसलिए जिनके पास पुराना जाति प्रमाण पत्र है उसे स्वीकार करते हुए उन्हें प्रवेश दिया जाए जिससे अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों का साल बर्बाद न होने पाए। उन्होंने बताया है कि जाति प्रमाण पत्रों की जांच ऑनलाइन नहीं की जाती, बल्कि इसके लिए फिजिकली उपस्थित होना पड़ता है। आपको यह भी बता दें कि यूजी (Under Graduate) पीजी (Post Graduate) कोर्सेज के लिए 2 अगस्त 2021 व पीजी कोर्सेज, एमफिल/पीएचडी में प्रवेश के लिए छात्रों के पंजीकरण की प्रक्रिया 26 जुलाई से शुरू हो चुकी है।
डॉ. सुमन ने बताया कि पंजीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद विश्वविद्यालय प्रवेश के लिए पहली सूची जारी करता है जिसमें सूचीबद्ध छात्रों को प्रवेश के लिए तीन दिन का समय दिया जाता है, इसमें पिछड़ा वर्ग के जिन छात्रों के पास नवीनीकृत जाति प्रमाण पत्र नहीं होगा उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में जिनके पास पुराने जाति प्रमाण पत्र है उन्हें स्वीकार कराने के लिए आयोग की ओर से दिल्ली में स्थित विश्वविद्यालयों/कॉलेजों/शिक्षण संस्थानों को अधिसूचना जारी कर उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग के पुराने जाति प्रमाण पत्र स्वीकार करते हुए प्रवेश दिया जाए। कॉलेजध् संस्थान आवश्यकता होने पर उन छात्रों से अंडरटेकिंग फॉर्म भरवा ले, परंतु उन्हें प्रवेश लेने से वंचित ना किया जाए।
डॉ. सुमन व डॉ. यादव ने बताया कि गत वर्ष शैक्षिक सत्र 2020-21 के दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के नवीनीकृत जाति प्रमाण पत्र न होने के कारण वे दिल्ली विश्वविद्यालय के विभागों/कॉलेजों में प्रवेश के लिए पंजीकरण नहीं करा पाए। बाद में अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के छात्रों की सीटें कॉलेजों ने खाली दिखा दी और कहा कि इस कोटे के छात्र उपलब्ध नहीं हुए। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन उन छात्रों को जाति प्रमाण पत्रों के नवीनीकरण के लिए समय देता तो अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे की सीटें खाली नहीं रहती। उन्होंने बताया कि यदि इस साल भी उन्हें जाति प्रमाण पत्र के नवीनीकरण के लिए छूट नहीं दी गई तो इस बार भी अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे की हजारों सीटें खाली रह जाएगी।
डॉ. सुमन और डॉ. यादव ने जाति प्रमाण पत्रों की आवश्यकता बताते हुए कहा कि एससी, एसटी के प्रवेश के लिए पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में केंद्रीयकृत आधार पर (सेंट्रलाइज एडमिशन प्रॉसेस) पंजीकरण होता था। पंजीकरण कराने का पूर्ण दायित्व एससी, एसटी सेल का होता था लेकिन अब ऐसा नहीं होता है। गत वर्ष भी ऑनलाइन प्रवेश हुए थे और इस साल भी कोरोना की वजह से ऑनलाइन पंजीकरण व ऑनलाइन प्रवेश होंगे। टीचर्स फोरम व डीटीए ने चिंता जताई है कि जिन ओबीसी कोटे के छात्रों के पास 31 मार्च 2021 के बाद का नवीनीकृत अन्य पिछड़ा वर्ग का जाति प्रमाण पत्र नहीं होगा वह प्रवेश नहीं ले पाएंगे।
डॉ. सुमन ने बताया कि दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन इस संदर्भ में कार्यवाहक कुलपति और डीन ऑफ कॉलेजिज को भी पत्र लिख चुका है कि छात्रों द्वारा ऑनलाइन पंजीकरण कराने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों को पुराने जाति प्रमाण पत्र के आधार पर अंडरटेकिंग लेकर प्रवेश दें, जिसमें उल्लिखित हो कि – कोरोना संक्रमण का प्रकोप कम होने पर जाति प्रमाण पत्रों के बनने की प्रक्रिया शुरू होते ही उसे नवीनीकृत करा कर कॉलेज/ संस्थान में जमा करा देंगे। डॉ. सुमन व डॉ. यादव ने कहा कि दिल्ली स्थित विश्वविद्यालयों/कॉलेजों/शिक्षण संस्थानों में कोरोना संक्रमण के चलते पिछले तीन वर्ष पूर्व के अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के जाति प्रमाण पत्र स्वीकार करने संबंधी दिल्ली पिछड़ा वर्ग आयोग विश्वविद्यालयों को एक सर्कुलर जारी करे और उन्हें निर्देश दे कि प्रवेश के समय अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के तीन साल पूर्व के जाति प्रमाण पत्र स्वीकार करते हुए छात्रों को प्रवेश दें। ऐसा करने से ओबीसी कोटे की सीटें खाली नहीं रहेंगी और अन्य पिछड़ा वर्ग कोटे के वास्तविक छात्रों को प्रवेश मिल सकेगा।
दिल्ली पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन जगदीश यादव ने डीटीए प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया है कि वे दिल्ली में स्थित दिल्ली विश्वविद्यालय/दिल्ली सरकार के कॉलेजों के अतिरिक्त शिक्षण संस्थानों को एक सर्कुलर जारी करेंगे जिसमें ओबीसी कोटे के छात्रों को जाति प्रमाण पत्रों को तीन साल की छूट दिए जाने संबंधी निर्देश जारी किए जाएंगे। जगदीश यादव ने यह भी कहा कि ओबीसी जाति के प्रमाण पत्र के आधार पर किसी भी छात्र को प्रवेश से वंचित नहीं करने दिया जाएगा। उनका कहना था कि हर साल ओबीसी कोटे के छात्र हजारों की संख्या में उपलब्ध होने के बावजूद सीटों को खाली रखा जाता है उनकी पूरी कोशिश होगी कि ओबीसी कोटे की सीटें खाली ना रहे। उन्होंने ओबीसी कोटे के छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति दिलाना, उच्च शिक्षा में कोटा पूरा कराने के लिए वाइस चांसलर को लिखा जाएगा।
आयोग के चेयरमैन यादव ने बताया कि वे जल्द ही दिल्ली में स्थित दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाली सभी यूनिवर्सिटीज, दिल्ली विश्वविद्यालय व उससे संबद्ध कॉलेजों के प्रिंसिपल, वाइस चांसलर, कुलसचिव के साथ ओबीसी कोटे के जाति प्रमाण पत्रों के संबंध में एक मीटिंग करने वाले हैं। उसी मीटिंग में ओबीसी जाति के प्रमाण पत्रों को तीन साल की छूट देते हुए छात्रों से अंडरटेकिंग लेकर एडमिशन करने के लिए कहा जाएगा, छात्रों को जाति प्रमाण पत्र के आधार पर ना रोका जाए। उन्होंने यह भी कहा कि वे विश्वविद्यालयों में ओबीसी कोटे की सीटों को इस बार खाली नहीं रहने देंगे।

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