बच्ची से पाशविक कृत्य कर हत्या‍ के दोषी उप्र निवासी को सजा-ए-मौत

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सोलन, 17 फरवरी। हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने आज एक बच्‍ची का बेरहमी से यौन उत्‍पीड़न करके उसकी हत्‍या करने के दोषी को मौत की सजा सुनाई है।
फास्ट ट्रैक, स्पेशल कोर्ट पॉक्सो के न्यायाधीश डॉ. परविंदर सिंह अरोड़ा ने आज उत्तर प्रदेश निवासी आकाश को 21 फरवरी 2017 को बद्दी थाने में दर्ज आईपीसी की धारा 302, 376 और पॉस्को एक्‍ट की धारा 6 और 10 के तहत दर्ज मामले में दोषी करार देते हुए यह सजा सुनाई।
अदालत ने मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम प्रकृति का केस माना है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि आरोपी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक कि वह मर न जाए। दोषी उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की तहसील बिलग्राम, पीओ. संधोली, ग्राम हंसोलिया के निवासी पट्टा लाल का पुत्र है।
अदालत ने माना है कि वर्तमान मामला स्पष्ट रूप से दुर्लभ से दुर्लभतम मामले की श्रेणी में आता है, जहां किसी भी अन्य सजा का सवाल निर्विवाद रूप से बंद है। अपराध की प्रकृति और जिस तरीके से इसे किया गया था, वह इसे असामान्य बनाता है, जहां आजीवन कारावास की सजा अपर्याप्त होगी।
सोलन जिले के अटॉर्नी मोहिंदर कुमार शर्मा ने बताया कि अभियोजन मामले के अनुसार 20 फरवरी 2017 को तहसील बद्दी के अधिकार क्षेत्र के भीतर दोषी ने 7 साल की बच्ची के निजी अंग में लकड़ी के टुकड़े डालकर गंभीर यौन उत्पीड़न किया और उसकी हत्या भी कर दी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार चिकित्सा अधिकारी डॉ. पीयूष कपिला का मत था कि बच्ची की मौत हाथ से गला घोंटने से हुई है। वहीं उन्‍होंने यह भी पाया कि बच्‍ची जननांगों में बेरहमी से लकड़ी के टुकड़े डाल कर अमानवीय कृत्‍य किया गया। इस मामले की जांच एसआई बहादुर सिंह ने की, जो वर्तमान में सीआईडी शिमला में निरीक्षक के पद पर तैनात हैं।
अदालत ने आज सजा का ऐलान करते हुए आकाश को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया और मौत की सजा के अलावा उसे 25 हजार रुपये का जुर्माना भरने की सजा भी सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर 6 माह का साधारण कारावास भुगतना होगा। अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा धारा 376 के साथ पठित पॉस्‍को अधिनियम की धारा 6 के तहत आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये के जुर्माने की सजा भी सुनाई। जुर्माना अदा न करने पर 6 माह का साधारण कारावास काटना होगा। अदालत ने पीडि़ता के माता-पिता को साढ़े 12 लाख रुपये मुआवजा देने की भी सिफारिश की है। अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि मौत की सजा की पुष्टि के संदर्भ सहित पूरी कार्यवाही माननीय उच्च न्यायालय को प्रस्तुत की जाए। इस दौरान सुनील दत्त वासुदेव (विशेष लोक अभियोजक) भी राज्‍य सरकार की ओर से पेश हुए।

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