मोबाइल एंबुलेंस से अति दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंची स्वास्थ्य सेवाएं

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शिमला, 2 जून। हिमाचल प्रदेश के दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। स्वास्थ्य सुविधाओं को स्वास्थ्य संस्थानों की चारदीवारी से बाहर निकाल गांव-गांव व घर-घर तक पहुंचाने की दिशा में राज्य सरकार ने कई अभिनव पहल की हैं। इसमें दुर्गम व ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को घर द्वार पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं संभव हुई हैं।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की संवेदनशील सोच एवं प्रदेश सरकार की सर्वस्पर्शी विकास की नीति को आत्मसात करते हुए दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के उद्देश्य से जीवन धारा मोबाइल एंबुलेंस सेवा व मोबाइल मेडिकल यूनिट सेवा शुरू की गई है। इन सेवाओं के माध्यम से राज्य में पहली बार अति दुर्गम व स्वास्थ्य सुविधा से वंचित और पिछड़े क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने को प्राथमिकता प्रदान की जा रही हैं। जीवन धारा मोबाइल एंबुलंेस सेवा में चिकित्सक व अन्य पैरामेडिकल स्टाफ तैनात कर गांव-गांव व घर-घर मरीजों की जांच कर उनका उपचार सुनिश्चित किया है।
राज्य में यह पहला मौका था जब स्वास्थ्य सुविधाओं को मोबाइल हेल्थ यूनिटों के माध्यम से अस्पतालों की चार दीवारी से बाहर निकाल गांव तक पहुंचाया गया। जिसके लिए राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से लगभग 10 जीवन धारा मोबाइल एंबुलंेस तैनात की। इन मोबाइल मेडिकल यूनिटों के माध्यम से बी.पी., मधुमेह और कैंसर सहित अन्य बीमारियों की जांच करने के साथ-साथ ओपीडी की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है। स्वास्थ्य जांच के उपरांत मरीजों को बीमारी से संबंधित उपचार व दवाईयां भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
आरंभिक चरण में राज्य के 7 जिलों चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर और सोलन के दुर्गम क्षेत्रों में जीवन धारा मोबाइल एंबुलंेस सेवा के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। कांगड़ा, मंडी और शिमला जिला में दो-दो और चंबा, कुल्लू, सिरमौर और सोलन जिले में एक-एक जीवन धारा मोबाइल एंबुलंेस तैनात की गई है। इस सेवा के माध्यम से गत एक वर्ष के दौरान दुर्गम क्षेत्रों में 2131 कैंप लगाए गए। 86544 ओपीडी, एनसीडी यानि बी.पी. शुगर जैसी बीमारी से संबंधित 15588 मामलों की जांच, 1352 गर्भवती महिलाओं की जांच और विभिन्न बीमारियों से संबंधित 64440 टेस्ट इस सेवा के माध्यम से किए गए। जीवन धारा मोबाइल एंबुलंेस सेवा के माध्यम से अब तक कुल 104608 लोगों की ओपीडी जांच और 74273 विभिन्न प्रकार के लैबोरेटरी टेस्ट किए जा चुके है।
कोविड-19 संकट के दौरान भी जीवन धारा मोबाइल एंबुलंेस सेवा ने बहुमूल्य मानव जीवन को बचाने के लिए बेहतरीन कार्य किया है। कोविड काल में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के दिशा-निर्देशानुसार स्वास्थ्य सुविधाओं को ग्रामीण व दुर्गम क्षेत्रों में पहुंचाने का कार्य जीवन धारा मोबाइल एंबुलंेस सेवा ने किया हैं। इस महामारी से बचाव के दृष्टिगत कोविड टीकाकरण, सामान्य बीमारों को उपचार सुविधा, घर-घर दवाईयों की पहुंच सुनिश्चित कर राज्य सरकार ने इस सेवा के द्वारा आम लोगों को सुविधा उपलब्ध करवाई है।
प्रदेश में किडनी के गंभीर रोगों से पीडि़त मरीजों को राहत प्रदान करने व ऐसे मरीजों को घर गांव में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से उत्तराखंड राज्य की द हंस फाउडेशन धर्माथ ट्रस्ट के सहयोग से किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों को घर द्वार पर सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। जिसके लिए राज्य सरकार ने 5 जनवरी को इस ट्रस्ट के साथ एमओयू हस्ताक्षरित कर प्रदेश में 40 मेडिकल मोबाइल यूनिट व 10 डायलिसिस केंद्र शुरू किए हैं, जिनमें किडनी की बीमारी के निःशुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध हैं। इस सेवा को मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर द्वारा राज्य में विधिवत रूप से 10 मार्च को आरंभ किया गया है।
प्रदेश में द हंस फाउडेशन धर्माथ ट्रस्ट के सहयोग से स्थापित किए जा रहे 10 डायलिसिस केंद्रों में जहां किडनी की बीमारी से ग्रस्त मरीजों को निःशुल्क सुविधा मिली है, वहीं मोबाइल मेडिकल वाहन गांव-गांव जाकर लोगों की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच कर उन्हें दवाईयां भी उपलब्ध करवा रहे हैं। इन वाहनों में डॉक्टरों सहित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने वाली टीम तैनात की गई है। जिसमें एक डॉक्टर, एक तकनीशियन, एक फार्मासिस्ट व एक सामाजिक सुरक्षा अधिकारी तैनात किया गया हैं।
राज्य के लोगों को घर द्वार पर स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। जिसके लिए राज्य सरकार की ओर से हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।

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