जुकारू उत्सवः मिंधल गांव में मना नवालू मेला, काफी दिलचस्प है इसका इतिहास

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पांगी, 1 मार्च। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी घाटी में इन दिनों 12 दिवसीय जुकारू उत्सव के पर्व पर 9वें दिन नवालू मेले का आयोजन किया गया। 9वें दिन ग्रामीणों ने अपने-अपने घरों में लाल मिट्टी से लिपाई-पुताई की, उसके बाद अपनी कुल देवी का भोग तैयार कर मंदिर गए। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद ढोल-नगाड़े के साथ पवित्र पंड़ाल में मेले का आयोजिन किया गया। मेले की विशेष बात ये है कि नौवें दिन नौ गृह की पूजा मिंधल गांव में की जाती है और माता के चेले विश्व कल्याण के लिए पूजा अर्चना करते है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन दिनों पांगी घाटी में जुकारू उत्सव मनाया जा रहा है हालांकि मिंधल गांव में पहले इस मेले के दिन बलि प्रथा देने का भी रिवाज था, लेकिन सरकार के आदेशों के बाद अब इस मेले के दिन केवल नारियण व अन्य सामग्री चढ़ाई जाती है। मिंधल गांव के अलावा ये घाटी के रेई पंचायत में भी मनाया जाता है। इस मेले को देखने के लिए घाटी के विभिन्न पंचायतों से लोग आते हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस मेले के दिन मिंधल माता का मुख्य ठाठड़ी सुबह करीब 27 किलोमीटर पैदल चलकर मिंधल गांव पहुंचता है। इसका मुख्य कारण यह है कि मिंधल माता का मुख्य चेला यानि ठाठड़ी किलाड़ के थमोह निवासी करतार सिंह है, जिसे नवालू के दिन अपने घर में पूजा अर्चना करने के बाद मिंधल माता मंदिर में चुन्नी व चोणू लगाकर मिंधल मंदिर पहुंचना पड़ता है। मिंधल मंदिर के पुजारी भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि हर साल के भांति इस वर्ष भी मिंधल गांव में नवालू मेले का आयोजन किया गया।

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हर्षोल्लास से मना पांगी घाटी का पारंपरिक जुकारू उत्सव

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