स्वदेशी विज्ञान के गौरव को पुनः स्थापित करने पर बल

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हमीरपुर, 28 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भारतीय सभ्यता, संस्कृति और स्वदेशी विज्ञान के गौरव को पुनः स्थापित करने पर बल देते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में मील पत्थर साबित हो सकती है।
राज्यपाल आज हमीरपुर जिले के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में आजादी का अमृत महोत्सव और एक भारत, श्रेष्ठ भारत अभियान के अंतर्गत् राष्ट्रीय विज्ञान भारती द्वारा आयोजित विद्यार्थी विज्ञान मंथन-2021-22 के पारितोषिक वितरण समारोह में मुख्यातिथि के रुप में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा व जीवनशैली विज्ञान पर आधारित रही है। उन्होंने कहा कि यहां की समृद्ध संस्कृति व सभ्यता में विज्ञान का समावेश देखने को मिलता था। लेकिन, विदेशी आक्रांताओं ने देश की इस महान संस्कृति और यहां की विज्ञान की परंपराओं को प्रभावित किया। दुर्भाग्यवश, हमने भी सभ्यता की महान परंपराओं को ही भुला दिया तथा पश्चिम के विचार को ही श्रेष्ठ मानना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और स्वदेशी विज्ञान के गौरव की पुनः स्थापना करना हमारा कर्तव्य है। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक मील पत्थर साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि महान वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में तैयार की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति सही मायनों में हमारी मिट्टी से जुड़ी है और यह नीति हमारे शैक्षणिक ढांचे को वैचारिक गुलामी के चंगुल से आजाद करने की दिशा में गंभीर प्रयास है। इसमें भारतीय आचार, विचार और संस्कारों का बेहतरीन समावेश किया गया है। उन्होंने सभी शिक्षाविद्ों और विद्यार्थियों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का गहन अध्ययन करने का आह्वान करते हुए कहा कि इसके बेहतर कार्यान्वयन के लिए वे सुझाव भी दें।
आर्लेकर ने कहा कि इस नीति में शिक्षा को रोजगारपरक बनाने पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का अर्थ केवल डिग्री हासिल करना और उस डिग्री के आधार पर केवल नौकरी ढूंढना ही नहीं होना चाहिए, बल्कि नौकरी ढूंढने के बजाय स्वयं रोजगार प्रदाता बनने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल की वैज्ञानिक परंपराओं के अलावा आधुनिक विज्ञान में भी भारतीय वैज्ञानिकों ने बहुत बड़ा योगदान दिया है।
उन्होंने राष्ट्रीय विज्ञान भारती के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं जिज्ञासा विकसित करने तथा उन्हें भारतीय विज्ञान की समृद्ध परंपराओं से अवगत करवाने के लिए इस संस्था ने विद्यार्थी विज्ञान मंथन कार्यक्रम के माध्यम से बहुत अच्छी पहल की है। इस कार्यक्रम के माध्यम से छठी से 11वीं कक्षा के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को एक बहुत अच्छा मंच मिल रहा है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने वर्ष 2021-22 के विजेताओं को विद्यार्थी विज्ञान मंथन पुरस्कार प्रदान किए।
इससे पूर्व, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रो. वीर सिंह रांगड़ा ने भारतीय विज्ञान के गौरवशाली इतिहास पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डॉ. एच.एन. सूर्यवंशी ने राज्यपाल का स्वागत करते हुए वीवीएम पुरस्कार की मेजबानी का अवसर प्रदान करने के लिए आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया।
राष्ट्रीय विज्ञान भारती के प्रदेश महामंत्री डॉ. शशि धीमान ने वीवीएम कार्यक्रम की रूपरेखा की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत हिमाचल प्रदेश के चयनित 18 बच्चों को आईआईटी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित किए जाने वाली राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में भाग लेने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
इस अवसर पर राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण रामदास ने विज्ञान भारती के कार्यक्रमों एवं गतिविधियों से अवगत करवाया। राष्ट्रीय विज्ञान भारती के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अश्वनी राणा ने राज्यपाल, शिक्षकों सहित अन्य अतिथियों व विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए विज्ञान भारती के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। हमीरपुर की उपायुक्त देबश्वेता बनिक और पुलिस अधीक्षक डॉ. आकृति शर्मा भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।

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