शिमला, 18 सितंबर। लिप्पा किन्नौर में वन रक्षक से मारपीट और उसे जान से मारने की धमकी मामले में अभी तक सख्त कार्रवाई नहीं होने पर हिमाचल प्रदेश मिनिस्ट्रियल स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश बादल ने चिंता व्यक्त की है।
ठेकेदार के वन रक्षक मारपीट और उसे जान से मारने की धमकी को लेकर अभी तक सख्त कार्रवाई ना किये जाने पर
बादल ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि एक हफ्ते से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद भी विभाग अभी तक डिमार्केशन नहीं करवा पाया है, जबकि विभाग के पास अपना राजस्व स्टाफ है। बादल ने कहा कि वन विभाग ठेकेदार पर तुरंत कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में वन कर्मियों की ड्यूटी में बाधा डालने वाले लोगों को सबक मिल सके। बादल ने कहा कि लिप्पा के वन रक्षक पर हमला करने वाले ठेकेदार के खिलाफ आई एफ इंडियन फारेस्ट एक्ट की धारा 64 के अंतर्गत् कार्रवाई कर उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाए। बादल ने इस संबंध में उप मुख्य अरण्यपाल अजीत कुमार और डीएफओ अरविंद से फोन पर बात करके तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह किया। मुख्य अरण्यपाल और डीएफओ ने बताया कि वो किसी के दबाव में न आकर कड़ी कार्रवाई करेंगे और एक दो दिन में डिमार्केशन करके कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
प्रकाश बादल ने कहा कि उन्होंने वन रक्षक मनोज कुमार से भी बात की और उनसे उनका कुशलक्षेम पूछा जिसमें ज्ञात हुआ कि ठेकेदार द्वारा मनोज पर किए गए हमले के कारण उनकी छाती में दर्द हो रहा है, जिसके लिए वो कल अस्पताल जाकर चैकअप करवाएंगे।
हिमाचल प्रदेश मिनिस्ट्रियल स्टाफ ने कहा कि वो वन विभाग के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ उस समय हमेशा खड़े रहेंगे जब उनपर इस प्रकार के हमले या जान का कोई खतरा होगा। बादल ने बताया कि वन विभाग के सभी कर्मचारी इस मामले में एकजुट हैं और जल्द ही इस पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद करते हैं।
बादल ने कहा कि वन रक्षकों को पुलिस की तर्ज पर स्पाई कैमरों से लैस किया जाए। जिस प्रकार ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी स्पाई कैमरा पहन कर ड्यूटी करते हैं उसी प्रकार वन रक्षकों को भी स्पाई कैमरे दिए जाएं, ताकि इस प्रकार की अप्रिय घटना को रिकार्ड करने में सक्षम हो सकें। गौरतलब है कि यदि वन रक्षक मनोज इस वारदात की वीडियो नहीं बना पाते तो यह मामला प्रकाश में ही न आ पाता। बादल ने प्रधान मुख्य अरण्यपाल से यह भी आग्रह किया कि समस्त वन मंडलाधिकारियों को आदेश दिए जाएं कि अपना राजस्व रिकार्ड अपडेट करें, ताकि लिप्पा जैसे मामलों के समय डिमार्केशन की आवश्यकता न पड़े और त्वरित कार्रवाई अमल में लाई जा सके।