‘जा किशोर जा‘, जी ले अपनी जिंदगी

‘धन‘ तो बेवफा है, ओमी दिलफेंक, कहीं भी दिल लगा ले देश और वसूलों से भी प्यारी, कुर्सी हमारी हरदा ने बहुत साल बाद किशोर से व्यस्यक हुए किशोर को समझाया, तू छोटा भाई है, मैंने तुझसे खूब काम कराया, तुझे डांटा-फटकारा। माना कि तेरा खूब इस्तेमाल भी किया, लेकिन मैं हूं तेरा ही भाई। … Continue reading ‘जा किशोर जा‘, जी ले अपनी जिंदगी