‘परीक्षा पे चर्चा‘ में बच्चों का राजनीतिक इस्तेमाल

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  • बोर्ड परीक्षा की तैयारियों में जुटे बच्चों के दो घंटे पीएम मोदी ने कर दिये बर्बाद
  • गोदी मीडिया के चैनलों के सवाल भी कर दिये चर्चा में शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम से देश भर के बच्चों को परीक्षा पे चर्चा के तहत एकजुट किया। नि:संदेह उन्होंने कुछ अच्छी बातें भी कही। बच्चों को भी मोटिवेट किया, लेकिन उनके दो घंटे का यह कार्यक्रम बेहद उबाऊ और थकाऊ था। बच्चे टीवी के सामने बैठे-बैठे परेशान हो गये। बोर्ड परीक्षा में जुटे 10वीं और 12वीं के बच्चों को खासी परेशानी हुई। मैं खुद उकता गया और सभा हाॅल से बाहर आ गया।
चूंकि पीएम मोदी का प्रोग्राम था तो सीबीएसई ने निजी स्कूलों को भी डंडा दिया हुआ था कि इस कार्यक्रम की वीडियो और फोटो अपलोड करो। ऐसे में निजी स्कूलों के बच्चे और प्रबंधन दोनों ही खूब परेशान हुए। सवाल प्रायोजित थे और यदि नमस्ते मोदी जी और धन्यवाद, शब्दों की समय सीमा गिनी जाएं तो संभवतः 35 से 40 मिनट का समय केवल धन्यवाद मोदी जी और नमस्ते मोदी कहने में ही खर्च हो गया। खैर, उत्तराखंड के दस लाख छात्रों द्वारा इस कार्यक्रम को देखने का दावा किया जाएगा। जबकि नेटवर्क इश्यू बहुत ही बड़ा था। देहरादून में ही नेटवर्क नहीं आ रहा था तो पर्वतीय जिलों में क्या हाल रहा होगा?
परीक्षा पे चर्चा उस समय राजनीतिक और हास्यापद लगा जब बच्चों ने पीएम मोदी से प्रायोजित सवाल पूछा कि आप अपने विरोधियों के विरोध और आलोचना के बावजूद सकारात्मक कैसे रह पाते हैं? यह सवाल भी अप्रसांगिक था कि विभिन्न भाषाएं कितनी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे ही नकल मामले में जबरदस्ती मोदी जी ने 12 से 15 मिनट ले लिये। गैजेटस से बचने का सवाल भी बेतुका लगा। सब जानते हैं कि अधिकांश बच्चे अब आनलाइन एजूकेशन से जुड़े हैं। मोबाइल से दूरी संभव नहीं है।
सबसे अहम बात यह रही कि तीन सवाल गोदी मीडिया के भी थे। यानी रिपब्लिक भारत, इंडिया टीवी और जी टीवी। बच्चों को इन चैनलों की माइक आईडी पकड़ा दी गयी। तब सवाल पूछे गये। आखिर मीडिया को ऐसे क्यों इस्तेमाल किया गया, यह समझ से बाहर है।
तब विषय और अधिक हास्यापद हो गया जब एक शिक्षिका ने ही पूछ डाला कि विषय को रोचक ढंग से कैसे पढ़ाएं? मेरा सुझाव है कि इस मैडम को तुरंत नौकरी से निकाल देना चाहिए। कुल मिलाकर पीएम मोदी का यह कार्यक्रम समय की बर्बादी था।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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