जोशीमठ पूरे पहाड़ की विकास गाथा का फोड़ा है!

232
  • सरकार जोशीमठ के लिए लड़ने वालों के दमन की फिराक में
  • तुम शापित हो पहाड़ियों, अश्वत्थामा की तर्ज पर फोड़े से पीप ही बहेगा

जोशीमठ आपदा के बाद वहां के लोग दहशत में हैं। जोशीमठ आपदा को सरल तरीके से ऐसे समझा जा सकता है जैसे लिफ्ट में आठ लोगों की जगह हो और 12 सवार हो गये हों। जोशीमठ संकट के लिए एनटीपीसी, बांध परियोजनाएं, सड़कों के लिए डाइनामाइट का अंधाधुंध कटाव, पेड़ों का कटान, सीवेज सिस्टम और ड्रेनेज सिस्टम का अभाव समेत कई कारक हो सकते हैं। पहाड़ के कथित सरकारी विकास गाथा का फोड़ा जोशीमठ है। ऐसे फोड़े पहाड़ में कई और होंगे।
उत्तराखंड केंद्र और राज्य के नेताओं, अफसरों, ठेकेदारों और दलालों के लिए नई नवेली दुधारु गाय है। हिमाचल में जितना विकास होना था, हो चुका। कश्मीर को छेड़ नहीं सकते। नार्थ ईस्ट में यदि स्थानीय लोगों की उपेक्षा हुई तो सशस्त्र विद्रोह हो सकता है। सबसे साॅफ्ट टारगेट है उत्तराखंड। कुछ मुट्ठी भर लोग जोशीमठ और पहाड़ की लड़ाई लड़ रहे हैं। कांग्रेस-भाजपा अंदरखाने एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। यूकेडी कांग्रेस की गोद में है। ऐसे में जो लोग जोशीमठ बचाओ-बचाओ, चिल्ला रहे हैं। उनका दमन कर दो, जेल भेज दो, तो फिर फोड़े का मवाद निकले या न निकले, क्या फर्क पड़ता है।
उत्तराखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भले ही कह रहे हों कि जोशीमठ में माओवादी हैं, लेकिन सच यह है कि उत्तराखंड के लोग डरपोक कौम है। हम अपने ही अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकते। अपना ही पहाड़ नहीं बचा सकते, लेकिन देशभक्त होने का झूठा दंभ भरते हैं। डरपोक लोग कतई देशभक्त नहीं हो सकते। हम पढ़-लिख गये तो कानून से डरते हैं।
नेता और अफसर इस बात को अच्छे से जानते हैं। एक टकले नौकरशाह ने उत्तराखंड को वर्षों लूटा और अब एक नया टकला नौकरशाह पैदा हो गया है। केंद्र को पता है कि पैसा सड़क से आता है, बांध से आता है। एयरपोर्ट बनने से आता है। जंगल काटने से आता है। अन्य राज्यों में प्राकृतिक संसाधनों की लूट नहीं हो सकती है। उत्तराखंड सबसे मुफीद है। पहाड़ से नेता, अफसर, दलाल और ठेकेदार नोट कमाएंगे। गुजरात के ठेकेदारों को काम मिलेगा और बेईमानी का पैसा 2024 के चुनाव में काम आएगा। नेता जानते हैं कि पहाड़ी कितने बिकाऊ हैं। 500 का नोट और एक बोतल उसके मुंह पर मारो, वोट हथिया लो। बस, कथित विकास भी हो गया और एक कौम पिछलग्गू भी बन गयी।
हजारों किलोमीटर की सड़कों का जाल बिछ गया। ठेकेदार जो कभी नेताओं को फंड देते थे वह समझ गये कि जनता बिकाऊ है। थोड़े से वोट खरीद लो तो जीत जाओगे। बस, उन्होंने नेताओं को पैसा देना बंद किया और खुद नेता बन गये। अब ठेकेदार ही हमारे प्रदेश के सरमाएदार हैं।
हाल में एक नेता की बेटी की शादी देहरादून में हुई। दस हजार लोगों को भोज दिया गया। कोई उससे पूछे, तेरे बाप के पैसे थे ये जो तू इतनो को खिला सका। भुखमरी में जन्म लिया और देखते ही देखते बिना कारोबार के ही करोड़पति बन गया। यह पैसा और कथित विकास पहाड़ को खोखला कर रहा है। जोशीमठ तो पहला फोड़ा है। सुक्खी टाॅप, नैनीताल, टिहरी, मसूरी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चम्पावत के कई हिस्सों में नये-नये फोड़े उभरेंगे। फोड़े और फोड़े से निकलने वाले पीप का इंतजार करो। तुमने भी अपने ही पहाड़ के साथ गद्दारी की है तो शापित हो तुम अश्वत्थामा की तर्ज पर।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

लो जी, अब पशुचिकित्साधिकारी को मिल गयी डीएम पावर!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here