सलमान के जज्बे और मेहनत को सलाम

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  • पत्रकारिता अपनाई लेकिन रंगाई-पुताई का काम भी नहीं छोड़ा
  • गोदी मीडिया के पत्रकारों को उससे सीखने की जरूरत

आज सलमान को फोन पर ईद की बधाई दी तो वह बहुत चहक रहा था। खुश था, कहने लगा, सर, ईद की पार्टी हो रही है। मैंने पूछा, सहारनपुर हो या देहरादून। कहने लगा, आज तो देहरादून ही हूं लेकिन कल सहारनपुर अपने घर जा रहा हूं। दरअसल, सलमान अली पिछले दो साल से देहरादून में अपने ब्लाग के साथ ही एक सेटेलाइट चैनल के लिए पत्रकार के तौर पर काम कर रहा है। सलमान को आप किसी प्रेस कांफ्रेंस में या शहर के किसी भी कोने में देख सकते हैं। एक जुलाई को डाक्टर्स डे सम्मान समारोह में उससे पहली बार मुलाकात हुई। सफेद पेंट और कमीज पहने था। कमर पर बैग कसा था और पीठ पीछे लगी थी माइक आईडी। उसकी फुर्ती देखने लायक है। वह वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल समेत कई लोगों की बाइट लेता है। झट से सवाल पूछता है और फिर फट से पीटूसी भी कर देता है। उसका आत्मविश्वास देख कर मैं दंग रह गया।
सलमान मूल रूप से सहारनपुर से है। लगभग 13 साल पहले देहरादून आया। हंसते हुए कहता है कि जब आया तो कुंवारा था। आज उसके दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी। बेटा स्कूल जाने लगा है। देहरादून में किराये पर रहता है। पढ़ाई दसवीं तक की। इसके बाद गुजर-बसर करने के लिए रंगाई-पुताई का काम करने लगा। उसकी साफगोई देखिए, जब मैंने उससे पूछा कि पत्रकारिता से पेट भर जाता है क्या? उसने गर्दन हिला दी। फिर? पुताई का काम करता हूं। वह नहीं छोड़ा। सलमान जनता से जुड़े मुद्दों पर तीखे सवाल करता है। वह ताईवान, रूस-यूक्रेन युद्ध समेत अनेक इंटरनेशनल मुद्दों की जानकारी भी रखता है।
सलमान लगभग दो साल पहले यानी 2020 में पत्रकार बना। मानवाधिकार संस्था के डाक्टर इमरान से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि सवाल अच्छे करते हो, पत्रकार बन जाओ। इसके बाद उसने एक यूट्यूब चैनल बना लिया। उसके पास बाइक है। वह बताता है कि अब उसे लोग जानने लगे हैं और पत्रकार साथी लिफ्ट भी दे देते हैं तो पेट्रोल का जुगाड़ हो जाता है। जिस चैनल के लिए वह पिछले दो महीने से काम कर रहा है उसने अभी पैसे नहीं दिये, लेकिन उसे उम्मीद है कि वहां से वेतन मिलने लगेगा।
दरअसल, सलमान आज के पत्रकारों को आईना दिखाने का काम कर रहा है। कारपोरेट जर्नलिज्म के इस दौर में जब पत्रकार गोदी हो गये हों, स्टूडियो में बैठकर मुर्गा फाइट दिखाकर कर जनता को कैंसरग्रस्त कर रहे हों, और पत्रकारिता को होटलों और एसी कमरों तक सिमटा हुआ मान रहे हों, तो तय है कि निकट भविष्य में सलमान जैसे पत्रकार उनके लिए चुनौती बनेंगे। सलमान के जज्बे और मेहनत को सलाम।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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