टोक्यो पैराओलंपिक में बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज सरकार ने देश के लिए कांस्य पदक जीता। यह एक बड़ी उपलब्धि है। रुद्रपुर निवासी मनोज सरकार की इस उपलब्धि पर उत्तराखंड व देश के खेल प्रेमी तो उल्लास मना रहे हैं, लेकिन सरकार कहीं सो सी रही है। जानकारी के मुताबिक अब तक सरकार ने मनोज सरकार की सुध नहीं ली।
वैसे भी उत्तराखंड में खेल नीति है ही नहीं। यहां अंकिता ध्यानी को दौड़ने के लिए जूते नहीं होते तो वंदना कटारिया को खेलने के हाकी स्टिक नहीं।
मनोज सरकार ने भी बैडमिंटन में जो उपलब्धि हासिल की, उसमें सरकार का क्या योगदान रहा? मनोज की मां जमुना मजदूरन है। मनोज ने बैलगाड़ी से मिट्टी ढोई, पंक्चर लगाए और लोगों के घरों में पीओपी की। इतने संघर्ष के बाद मनोज को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। उत्तराखंड के लिए मनोज सरकार अब तक 47 पदक ला चुका है। ग्राफिक एरा ने उसे 11 लाख रुपये देने की घोषणा की है लेकिन उत्तराखंड सरकार ने क्या दिया? यह विचारणीय है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]