दरबार साहिब के महंत देवेंद्र दास क्यों हुए मेयर के लिए दरियादिल?

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  • एक नहीं, तीन-तीन बेशकीमती जमीन दे दी मेयर गामा को पट्टे पर
  • क्या टैक्स रिबेट के बदले मेयर को दे दी जमीनें?

आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा की अथाह संपत्ति के कुछ हिस्सों को उजागर किया है। इसमें शक नहीं कि मेयर सुनील उनियाल गामा सड़क से सत्ता के शीर्ष पर बहुत संघर्ष और मेहनत के दम पर पहुंचे। बहुत ही साधारण घर से सुनील उनियाल ने सफलता हासिल की लेकिन मेयर जैसे पद पर रहते हुए उन्होंने शहर का नाश किया और अपना लाभ लिया।
उनकी निजी संपत्तियों पर अगली बार लिखूंगा आज सिर्फ दरबार साहिब द्वारा लीज पर दी गयी जमीनों के संबंध में। महंत देवेंद्रदास ने मेयर सुनील उनियाल गामा के बेटे शाश्वत उनियाल के नाम दो जमीन 99-99 साल के पट्टे पर दी है। इतनी लंबी अवधि का पट्टा सीधे-सीधे जमीन बेचना ही है। जबकि एक जमीन उन्होंने 29 साल के पट्टे पर दी है।
विचारणीय बात यह है कि आखिर महंत और मेयर में आखिर क्या ऐसा लेन-देन हुआ कि दरबार साहिब की तीन-तीन जमीनें मेयर गामा को लीज पर दे दी गयी? क्या महंत इतने दरियादिल हैं कि मेयर गामा ने कहा, उनका बेटा बेरोजगार है, उसको बिजनेस करना है प्लीज जमीन दे दो। यदि ऐसा है तो महंत को उन बच्चों पर तरस क्यों नहीं आया जिन्होंने गांधी पार्क के सामने रोजी-रोटी के लिए पुलिसिया लाठी और पत्थर खाए। या महंत ऐसा कर सकते थे कि दरबार साहिब के निकट बिंदालपुल में मलिन बस्ती के कुछ लोगों को उस जमीन पर बसा देते? आखिर इस दया के पीछे का सच क्या है?
बता दूं कि महंत देवेंद्र दास ने मेयर के बेटे शाश्वत के नाम 16 मार्च 2019 को पहला पट्टा दिया। इसके बाद फिर अक्टूबर 2019 और 2020 में जमीन शाश्वत के नाम पट्टा दे दिया। एडवोकेट विकेश नेगी के अनुसार दरबार साहिब ने नगर निगम को टैक्स नहीं दिया। इसकी क्षतिपूर्ति पट्टा देकर की गयी है। महंत और मेयर के बीच हुए इस संपत्ति के गठजोड़ की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

तो मेयर गामा मामले में मैनेज हो गये बड़े अखबार व चैनल

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