जान दे दूं तो शायद प्रदेश के युवा जाग जाएं: मोहित

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  • अस्पताल से देर रात धरनास्थल लौटे मोहित, आमरण अनशन जारी
  • जब कोई सुनवाई नहीं तो आमरण अनशन ही विकल्प

जब प्रदेश के अधिकांश पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक अपने घरों में एशिया कप क्रिकेट, मोबाइल पर चैटिंग या दोस्तों के साथ बेफ्रिक घूम रहे हैं और उन्हें लगता है कि नौकरी का मामला राजनीति है तो ऐस समय में रुद्रप्रयाग में एक युवा मोहित डिमरी भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच को लेकर पिछले चार दिन से आमरण अनशन पर बैठा है। कल देर रात पुलिस उसे जबरदस्ती उठाकर अस्पताल ले गयी लेकिन वह भूख हड़ताल से उठने के लिए तैयार नहीं हुआ।
मोहित रात लगभग एक बजे एक बार धरने पर आ गया और अनशन शुरू कर दिया। मेरे सवाल पर कि इससे क्या हासिल होगा? उसका कहना है कि सरकार में सुनवाई नहीं है और जनता जाग नहीं रही। ऐसे में आमरण अनशन ही विकल्प है। जान दे दूं तो शायद युवाओं में जागरूकता आ जाएं।
अब मोहित को कौन समझाए, इस प्रदेश के मूर्ख युवा तो यही समझेंगे कि राजनीति चमकाने के लिए जान दे दी।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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