गांव की पगडंडी से शिखर तक पहुंचने की कहानी

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  • माटी और थाती के लिए समर्पित रमेश चंद्र जोशी की मेहनत लाई रंग

पहाड़ के हर व्यक्ति की अलग ही संघर्षगाथा है। बागेश्वर निवासी रमेश चंद्र जोशी ने गांव के स्कूल से पढ़ाई की। आर्थिक संकट था तो पढ़ाई के साथ पानी की चक्की भी चलाते। अल्मोड़ा से आईटीआई किया और फिर वहीं एक कंपनी में काम करने लगे। दिन रात मेहनत की। बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए ओवरटाइम करते। तकली कात कर ऊन की वस्तुएं बनाते ताकि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और परवरिश दे सकें। उनकी यह मेहनत रंग लाई।
उनके बेटे ललित जोशी आज पैरामेडिकल कालेज सीआईएमएस और यूआईएचएमटी के चेयरमैन हैं और सैकड़ों छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही संस्कार भी दे रहे हैं। रमेश चंद्र जोशी द्वारा दिये गये संस्कार और जीवन मूल्यों की सीख उनके बच्चों में परिलक्षित होती है। सफलता के शिखर पर होते हुए भी रमेश चंद्र जोशी ने देहरादून में दो गाय पाल रखी हैं और खुद ही किचन गार्डनिंग करते हैं। ऐसे सरल, सहृदय और मृदुभाषी रमेश चंद्र जोशी को सम्मानित करते हुए उत्तरजन टुडे परिवार गौरवांवित महसूस कर रहा है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

दिलों को जोड़ता है यह हड्डियों का डाक्टर

 

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