रीढ़विहीन नेताओं और बिकी हुई जनता के भंवर में उत्तराखंड

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  • इस नक्कारखाने में तब भला किसकी तूती बोलेगी
  • नेता-नौकरशाह और माफिया गठजोड़ ले डूबेगा प्रदेश

19 मई की बात है। पौड़ी जिले के रिखणीखाल के पाखरी पोस्ट गांव की बेटी सारिका के बाएं हाथ में चोट और सूजन आ गयी। उसे वहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। साफ था कि फैक्चर है। अस्पताल में न आर्थो था न ही लैब टेक्नीशियन कि एक्सरे किया जा सके। लिहाजा वहां मौजूद डाक्टरों ने फैक्चर प्वाइंट को इंबोलाइज्ड करने के लिए नीक स्लिंग करने के लिए गत्तें का इस्तेमाल किया। बाद में कोटद्वार में उसकी सर्जरी हुई। दरअसल, सारिका का टूटा हाथ और गत्ते का प्लास्टर हमारे प्रदेश की हालात बयां करता है। इस प्रदेश की अधिकांश जनता बिकी हुई है और यहां के अधिकांश नेता…. और रीढ़विहीन हैं। ऐसे में सारिका के हाथ को गत्ते से इंबोलाइज्ड किया तो क्या बुरा किया?
उधर, यूपी के दादरी के चिटहैरा गांव में दलितों और गरीबों की जमीन हड़पने के मामले उत्तराखंड के पूर्व सीएम, मौजूदा सीएम के निकटस्थ दो नौकरशाह और एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। सीपीआईएमएल नेता इंद्रेश मैखुरी और कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी के अलावा एक भी नेता इस महाभयानक कांड पर कुछ नहीं बोले। बड़े नेताओं को सांप सूंघ गया है। ये वो नेता हैं जो पहाड़ और पहाड़ियत को अपना अभिमान बताते हैं, लेकिन चंपावत चुनाव की आड़ में चुप्पी साधे हुए हैं। कारण, रीढ़विहीन तो हैं ही, साथ ही उनको भय सता रहा है कि यदि चिटहैरा भूमि घोटाले का मुद्दा उठाएंगे तो उनके भी राज खोल दिये जाएंगे। यानी चोर-चोर मौसरे भाई।
देश के बेस्ट ब्रेन नौकरशाह अनपढ़ नेताओं की नब्ज जानते है कि वो भ्रष्ट हैं। ऐसे में बेहिचक अथाह दौलत कमा रहे हैं। ढाई लाख की मेरिनो भेड़ खरीद रहे हैं और उसकी लुतकी तक खा जा रहे हैं। एक भ्रष्ट नौकरशाह की जांच दूसरा भ्रष्ट नौकरशाह कैसे करेगा? बस, जांच-जांच का खेल चल रहा है और जनता इस जांच के चक्कर में डा. निधि उनियाल जैसे डाक्टरों की सेवा से भी महरूम हो रही है।
उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि यहां हमें अधिकांश नेता …….. और रीढ़विहीन मिले हैं। ईमान से इतना कमजोर कि दस रुपये का सिक्का सड़क पर गिरा दो और कहो, नेताजी जीभ से उठा लो, 90 प्रतिशत नेता उठा लेंगे। चुनाव में नेता ठीक उलट काम करते हैं यानी दस रुपये का सिक्का फेंकते है और जनता को कहते हैं जीभ से उठा लो। अधिकांश जनता उठा लेती है। ऐसे में बताओ, कैसे इस प्रदेश का भला होगा? इसलिए चिन्ता न करें, सारिका को गत्ते के सपोर्ट से नीक स्लिंग मिल गयी। वरना, कोटद्वार तो 100 किलोमीटर दूर था। मुट्ठी भर लोग भी नहीं जागे तो प्रदेश जल्द ही डूब जाएगा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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