दो संस्कृतियों का समागम कराने में जुटे दो वीरभड़

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पिंडर के पानी से बुझेगी कुमाऊं के कई गांवों की प्यास
जियोलॉजिस्ट डा. एमपीएस बिष्ट और चीफ इंजीनियर सुरेश चंद्र पंत की पहल

यदि सब कुछ ठीक रहा और केंद्र से योजना को हरी झंडी मिल गयी तो निकट भविष्य में केदारखंड में बहने वाली पिंडर नदी से मानसखंड यानी कुमाऊं के लाखों लोगों की प्यास बुझ सकेगी। यानी पिंडर नदी दो संस्कृतियों का मिलन करेगी। यूसैक के डायरेक्टर डा. एमपीएस बिष्ट और पेयजल निगम के चीफ इंजीनियर सुरेश चंद्र पंत की एक टीम आठ जून से पिंडर नदी के जल के उपयोग की दिशा में ग्राउंड सर्वे कर रही है। यानी वीरभड़ माधो सिंह भंडारी की तर्ज पर ये दोनों जियोलॉजिस्ट और इंजीनियर मिलकर सुरंग के माध्यम से कोसी, लोघ, गगास और गोमती नदियों के इलाके में बसे लोगों की प्यास बुझाने और सिंचाई के लिए जल की व्यवस्था करने की योजना बना रहे हैं।
डा. बिष्ट के अनुसार पिंडर घाटी के मोपाटा से कुमाऊं के मल्ला पंया गांव तक लगभग दो किलोमीटर टनल निकाली जाएगी। इसमें लगभग डेढ मीटर पाइप के माध्यम से पिंडर का पानी 2200 मीटर से 1800 मीटर तक ग्रेविटी के आधार पर ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सदियों से आज तक पिंडर का एक बूंद भी पानी इस्तेमाल नहीं हुआ। उनके मुताबिक पिंडर नदी में 42 क्यूमैक्स जल है। इसमें से टनल के माध्यम से महज डेढ़ से दो क्यूमैक्स जल का उपयोग करेंगे।
सर्वे के दौरान विभिन्न जगहों की पहचान की जा रही है। डा. बिष्ट के अनुसार इस योजना के लिए पेयजल सचिव नीतीश झा के साथ मिलकर चिन्तन किया गया। पेयजल निगम के चीफ इंजीनियर सुरेश चंद्र पंत ने इस योजना पर चिन्तन और मनन में साथ दिया और इसके बाद योजना पर अमल करने के लिए ग्राउंड सर्वे किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि योजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट जल्द तैयार की जाएगी और इसे सरकार के अनुमोदन के साथ केंद्र को भेजा जाएगा।
गौरतलब है कि कोसी, लोघ, गगास और गोमती नदी का जलस्तर लगातार घट रहा है और इन इलाकों में पेयजल की भारी किल्लत है। इस समस्या से निपटने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। डा. बिष्ट ने इस प्रोजेक्ट को नाम दिया है, केदारखंड से मानस खंड में हिमनद जलप्रवाह – एक भगीरथ प्रयास।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया?

 

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