लो जी, मैंने भी बढ़ा दिया सीएयू के खाने का बिल

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  • मूंग का हलवा, मलाई कोफ्ता खाया, चिकन को छुआ नहीं
  • अध्यक्ष गुनसोला से पूछा, मसूरी से देहरादून क्या हेलीकॉप्टर से आते हो?

देहरादून के मधुवन होटल में मैंने सबसे पहले खाने की शुरुआत की। प्लेट में चुनिंदा आइटम ही लिए। चिकन या मटन की ओर झांका भी नहीं। डर था कि कहीं सीएयू के अध्यक्ष या सचिव टोक न दें कि जब हमारे खाने पर ऐतराज है तो खुद क्यों इतना ठूंसे जा रहे हो? हालांकि मैंने बेझिझक सीएयू के पदाधिकारियों को कहा कि 1 करोड़ 74 लाख में कुछ बिल हमारा भी तो होना चाहिए।
इससे पहले सीएयू की प्रेस कांफ्रेंस हुई। सचिव माहिम ने शुरुआत की। बताया कि खिलाड़ियो को 1250 दे रहे हैं। केले 35 लाख और पानी 22 लाख का नहीं था। हां, खाने पर इतना खर्च हुआ है। 100 मैच कराए। आदि-आदि। मुंबई से 725 रन की हार पर कहना था कि मुंबई 41 बार की चैंपियन थी। टॉस हम जीत जाते तो कुछ और बात होती। खैर, हार-जीत चलती रहती है। माहिम ने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा, मैं तो क्रिकेट के लिए ही समर्पित हूं। क्रिकेट, क्रिकेट और क्रिकेट। मजबूरी में प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं।
आश्चर्यजनक बात थी कि मुख्यधारा की मीडिया के अधिकांश पत्रकार चुप्पी साधे रहे। उनके मुंह से एक भी सवाल नहीं फूटा। मैंने मोर्चा संभाला। अध्यक्ष जोत सिंह गुनसोला से पूछा, 60 हजार महीना किस बात के लेते हो? मसूरी से देहरादून आने-जाने के। सवाल का जवाब मिला कि नियमानुसार ही भुगतान होता है। मैंने काउंटर सवाल किया, कि क्या हेलीकॉप्टर से आते हो? हॉल में हंसी गूंज गयी।
सचिव माहिम से पूछा कि जिला क्रिकेट एसोसिएशन को तो पांच लाख भी नहीं मिले तो अपने पापा को 25 लाख क्यों दिये? गुनसोला सवाल पर चौंके और बोले, पापा को नहीं, गोल्ड कप के लिए। मैंने कहा कि गोल्ड कप की समिति नई बनी थी, तो क्या इसको पैसे देने का हक था। माहिम ने जिला क्रिकेट एसोसिएशन का श्रेय गोल्ड कप को दिया। उन्होंने सफाई दी कि 25 लाख देने का फैसला एजीएम में हुआ था और यह रकम अभी दी नहीं है।
प्रवक्ता संजय गुसाईं से सीधा सवाल किया एकादमी चलाते हो और बेटे को जबरदस्ती उत्तराखंड की टीम में रखे हुए हो तो उनका कहना था कि बेटा बहुत प्रतिभाशाली है और गुजरात टीम का कैप्टन रहा है। खैर, बेटे से कोई बैर नहीं। माहिम ने बताया कि संजय के साथ कांफिलिक्ट का मामला नहीं है, क्योंकि वह लाभ के पद पर नहीं हैं।
और भी कई सवाल हुए और कई विवाद भी हैं। मैंने तय किया है कि जुलाई माह में उत्तरजन टुडे की कवर स्टोरी क्रिकेट पर ही होगी। सवाल करोड़ों की रकम का नहीं है, सवाल यह है कि क्या सीएयू हमारे सीमांत गांवों के प्रतिभावान बच्चों को मंच दे रहा है? उत्तराखंड के खिलाड़ियों को तैयार कर रहा है। यदि नहीं तो तय है कि मैं निरंतर पुरजोर ढंग से उन खिलाड़ियों की आवाज उठाता रहूंगा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

आखिर ये संतोष अग्रवाल है कौन?

 

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