सरकार आप मेदांता जाओगे, इलाज के लिए गरीब कहां जाएं?

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हल्द्वानी के गोपाल शर्मा को ब्रेन हेमरेज, मासूम बेटियां मांग रहीं भीख
सांसद अजय भट्ट ने गोली दी और सीएम ने महज ट्वीट किया

देहरादून के राजपुर रोड स्थित पिनाकल रेजीडेंसी के एक फ्लैट में मैं आठ साल की आदिति और 6 साल की प्रज्ञा से मिलता हूं। दोनों बच्चियां आज फादर्स डे से अनभिज्ञ हैं लेकिन उन्हें पता है कि उनके पिता जिंदगी के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत से लड़ रहे हैं। दोनो बच्चियां अपनी मां के साथ यहां समाजसेवी भावना पांडे के निवास पर आई हैं। भावना पांडे ने उन्हें एक लाख 11 हजार रुपये आर्थिक मदद दी है ताकि उनके पिता के इलाज में मदद हो सके।
गरीबी अभिशाप होती है। इसलिए दोनों बच्चियों ने पिता की जान बचाने के लिए नीम करौली के बाबा दरबार में भीख भी मांगी। लोगों ने मदद भी की लेकिन नीम करौली प्रबंधन ने धक्के मार कर भगा दिया। इन बच्चियों का वीडियो वायरल हुआ तो सीएम धामी ने ट्वीट किया कि गोपाल के इलाज का इंतजाम कर रहे हैं। लेकिन ये इंतजाम आज तक नहीं हुए। हालांकि हल्द्वानी प्रशासन ने कुछ सुध ली। एसडीएम हल्द्वानी ने उन्हें एक लाख रुपये की मदद दी।
दरअसल, यह कहानी मासूम प्रज्ञा और आदिति की ही नहीं, आम जनमानस की है। प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं। यहां इलाज नहीं मिलता है और मिलता है तो बहुत महंगा। नेता और अफसर तो मेदांता या मैक्स में इलाज कराने पहुंच जाते हैं। आम जनता कहां जाएं। ऐसा ही मार्मिक कथा इन दोनों मासूमों की है। मूल रूप बागेश्वर निवासी 42 वर्षीय गोपाल शर्मा हल्द्वानी में एक हार्डवेयर की दुकान पर काम करते हैं। किराये के मकान में रहते हैं। एक जून को अचानक उनकी तबीयत खराब होती है। उन्हें सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाया जाता है लेकिन वहां कोई सुविधा नहीं होती तो उन्हें एक निजी अस्पताल में ले जाया जाता है। वहां सीटी स्कैन में पता चलता है कि ब्रेन हेमरेज हुआ है। अस्पताल के डाक्टर गोपाल को दिल्ली या नोएडा रेफर करते हैं। पत्नी सुनीता के पल्ले चवन्नी नहीं थी। लिहाजा पड़ोस में रहने वाले दो भाइयों ने मन्नू और बाबी गोस्वामी ने लोगों से सहयोग मांगा और किसी तरह से एम्बुलेंस और एक लाख की व्यवस्था की।
नोएडा के फोर्टिज अस्पताल में गोपाल को दाखिल कराने के लिए पांच लाख रुपये मांगे। इस बीच गोपाल की पत्नी ने 80 हजार रुपये जमा करा दिये थे लेकिन पांच लाख की रकम संभव नहीं थी। अस्पताल प्रबंधन ने गोपाल को स्ट्रेचर समेत बाहर निकाल दिया। वहां से गोपाल को सफदर जंग अस्पताल ले जाया गया।
इस बीच कुछ मन्नू ने क्षेत्रीय सांसद अजय भट्ट से मदद की गुहार की। खाली आश्वासन मिला। सांसद ने आज तक कोई सुध नहीं ली। इलाज दवाएं और इंजेक्शन महंगे थे। 6 जून को गोपाल की पहली सर्जरी हुई। इलाज के लिए पैसे चाहिए थे तो मन्नू और बाबी दोनों बेटियों को लेकर नीम करौली के कैंचीधाम पहुंच गये। वहां एक दानपेटी में 41,598 रुपये चंदा मिल गया। वहां भाजपा के सहप्रभारी दुष्यंत गौतम पहुंचे थे तो उनसे भी मदद की गुहार लगाई। लेकिन आश्वासन ही मिला।
इस बीच गोपाल को दस जून को सफदरजंग अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। तर्क था कि वहां जगह नहीं है। गोपाल की हालत गंभीर ही थी तो ग्रीन पार्क में एक कमरा किराये पर ले लिया। इस बीच उसे दोबारा अटैक आ गया तो उसे फिर अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा। वहां फिर सर्जरी हुई और गले में नली डाली गयी।
रोजाना की दवाएं और इलाज पर खर्च बढ़ रहा था तो मन्नू गोपाल की दोनों बेटियों को लेकर एक बार फिर कैंची धाम पहुंच गया। इस बार उनके साथ धाम के प्रबंधन समिति ने धक्का-मुक्की की। वीडियो वायरल हो गया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया कि गोपाल के इलाज में कोई कोताही बरती जाएगी। लेकिन आज तक कोई मदद नहीं मिली। गोपाल की पत्नी सुनीता के मुताबिक अब तक तीन लाख से भी अधिक का खर्च हो चुका है। गोपाल आईसीयू में है और पैरालाइज है। पति के इलाज के साथ ही उसे आदिति और प्रज्ञा के भविष्य की भी चिन्ता सता रही है। सत्ता खामोश है और इस परिवार को मदद की दरकरार है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

उत्तराखंड के लिए देवदूत हैं पूर्व फौजी

 

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