जिंदा रहने के लिए लड़ाई नहीं, खानापूर्ति कर रही कांग्रेस

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  • मीडिया से बातचीत के लिए 25 में 20 नौसिखिए और बेकार
  • दिल्ली की ताल पर ही नाचना है तो इन अग्निवीरों की क्या जरूरत?

चम्पावत उपचुनाव में घनघोर बेइज्जती कराने के बाद कांग्रेस को होश आना चाहिए था, लेकिन उत्तराखंड के कांग्रेसियों का नशा उतर ही नहीं रहा। उन्हें पता ही नहीं है कि कांग्रेस की किडनी, हार्ट, लंग्स, लीवर कुछ भी काम नहीं कर रहा है। मल्टी आर्गन फेल्योर का मामला है और इलाज सिरदर्द का कर रहे हैं। जिन 25 लोगों को मीडिया की जिम्मेदारी सौंपी है, उनमें यदि गरिमा, मथुरा दत्त जोशी, सूर्यकांत धस्माना, सुजाता पाल, डा. प्रतिमा सिंह को छोड़ दिया जाए तो बाकी नौसिखिया ही हैं। धीरेंद्र प्रताप आउटडेटिड हैं। उन्हें कोई भी पत्रकार सीरियसिली नहीं लेता। डा. आरपी रतूड़ी बूढ़े हो चुके हैं और उनका ज्ञान बहुत कम है। गरिमा का तैश में आना भी खतरनाक है। उन्हें कंट्रोल की जरूरत है। प्रतिमा से उनका टकराव भी जग-जाहिर है। सूर्यकांत धस्माना चुनाव हारने के बाद नेपथ्य में हैं यानी बहुत ही डिप्रेस हैं।
ऐसी लूली-लंगड़ी मीडिया टीम के साथ कांग्रेस भाजपा के साथ राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, वेलफेयर स्टेट, संविधान पर खतरा, डेमोग्राफिक चेंज और मोदी के प्रति अंधभक्ति का जवाब कैसे देगी? मीडिया टीम में शामिल अधिकांश को राष्ट्रवाद या वेलफेयर स्टेट की परिभाषा भी नहीं पता होगी। कारण, ये लोग पढ़ते-लिखते हैं ही नहीं। मीडिया टीम में शामिल कई लोग राजपुर रोड पर कांग्रेस मुख्यालय में प्रापर्टी डीलिंग के लिए ही बैठते हैं। सेंटर प्लेस होने के कारण उनके क्लाइंट वहीं आ जाते हैं। यदि प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को लगता है कि दिल्ली की डपली पर नाचकर वह प्रदेश में जनाधार बढ़ा देंगे तो उनको यह खुशफहमी है। कांग्रेस मर रही है और उसको संजीवनी की जरूरत है।
मेरा कहना यह है कि मीडिया टीम को स्ट्रांग बनाना चाहिए था। मुद्दों पर रिसर्च होनी चाहिए। इतिहास और भूगोल ज्ञान भी जरूरी है। आंकड़े पता होने चाहिए और लेटेस्ट अपडेट भी। कांग्रेस में कई ऐसे अच्छे पढ़ाकू और जानकार हैं जो भाजपा की टीम को काउंटर अच्छे से कर सकते हैं। लेकिन यह विडम्बना है कि उनके पास आय के संसाधन नहीं हैं। कांग्रेस को चाहिए था कि ऐसे लोगों को भले ही मानदेय देना पड़े तो दें।
वरना महरा जी, आपके वश की बात नहीं है कि जनाधार बढ़ा सको, खतरा यह है कि कांग्रेस के और नेता भी भाजपा की शरण में चले जाएंगे। कम से कम अब तो होश में आ जाओ।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

आईएएस की बीबी यानी सुपर आईएएस

 

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