एसपी ट्रैफिक बोले, फैक्ट्री या लैब में नहीं बनता खून

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  • एसपी अक्षय कोंडे ने किया रक्तदान, कहा, रक्तदान का महत्व समझें लोग
  • लाइफ केयर पैथोलॉजी सेंटर में रक्तदान शिविर

देहरादून के एसपी ट्रैफिक अक्षय कोंडे ने आज लाइफ केयर पैथोलॉजी सेंटर द्वारा आयोजित शिविर में रक्तदान किया। मैंने उनसे पूछा, आईपीएस बनने के बाद क्या आपने कभी रक्तदान किया। वह बोले, एक साल में दो या तीन बार रक्तदान करता हूं। ट्रैफिक पुलिस का एसपी होने के बाद जिम्मेदारी का एहसास और भी बढ़ा है कि जब एक्सीडेंट के बाद किसी को जान बचाने के लिए रक्त की जरूरत होती है और वह मिलता नहीं है। आप बाजार से दवाएं खरीद सकते हैं लेकिन खून कृत्रिम नहीं बन सकता।
रक्तदान शिविर में मौजूद पैथोलॉजिस्ट डा. नवल किशोर मिश्रा और फिजिशियन डाक्टर एमके चक्रवर्ती के अनुसार खून में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) का लाइफ सर्किल 120 दिन ही है। ऐसे में यदि रक्तदान किया जाए तो नया खून तेजी से बनता है। उनके अनुसार रक्तदान के 24 घंटे की अवधि में ही शरीर में नया रक्त पूरी तरह से बन जाता है और यह शरीर को स्वस्थ और तंदुरस्त बनाने का काम करता है। डा. चक्रवर्ती के अनुसार जिस तरह हम असहाय और जरूरतमंदों को दान देते हैं, ऐसे ही हमें रक्तदान भी करना चाहिए।
लाइफ केयर के संचालक राजेश रावत युवा हैं और अब तक 16 बार रक्तदान कर चुके हैं। उनके अनुसार रक्तदान शिविर में 50 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ। एक यूनिट रक्त से तीन या चार लोगों के जीवन को बचाया जा सकता है। इसलिए रक्तदान को महादान कहा जाता है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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