निर्भगी जनता, तू इसी लायक है, तेरी फूटी किस्मत है!

भूल गयी, तूने भी तो दो घूंट और 500 के नोट में बेच दिया था वोट तू है धर्म, जाति, क्षेत्र और झूठे राष्ट्रवाद के नशे में चूर, जा मर कलमुंही जब पता लगा कि नेता, अफसर, ठेकेदार और दलालों ने मिलकर खेल कर डाला। जनता के बच्चों की रोटी का निवाला ही छीन डाला … Continue reading निर्भगी जनता, तू इसी लायक है, तेरी फूटी किस्मत है!