सीएम कार्यालय में एक दिन

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  • सूचना का अधिकार की शक्तियों का किया इस्तेमाल
  • डिजिटल इंडिया के जमाने में आज भी घिसी जा रही कलम

एक आम आदमी के लिए सरकारी विभागों से सूचना लेना किसी मुसीबत से कम नहीं होता। यह एहसास मुझे हुआ तो ठान लिया कि समस्या की जड़ तक जाना है। दरअसल, मैंने सीएम कार्यालय में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के हाल में तीन देशों की विदेश यात्रा की आरटीआई में जानकारी मांगी थी। यात्रा का प्रयोजन, इस पर खर्च, विजिटिंग रिपोर्ट और इससे प्रदेश को क्या लाभ होगा? सीएम कार्यालय ने जानकारी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद कृषि विभाग से सूचना चाही तो गलती से उस पर उत्तराखंड सरकार लिख दिया। भाई लोगों ने तकनीकी आधार पर सूचना देने से इंकार कर दिया कि उत्तराखंड सरकार विधानसभा में है। विधानसभा पहुंचा तो वहां पता लगा कि कृषि विभाग का समस्त स्टाफ तो कैंट रोड़ जोशी के बंगले पर है। वहां भी किसी ने मेरी आरटीआई नहीं ली। मैंने डाक से रजिस्टर्ड पत्र भेजा। वह भी बैरंग आ गया।
इस बीच मैंने तय किया कि सारे झंझट की जड़ सीएम कार्यालय है। यदि मुझे पता हो कि कहां क्या है तो आरटीआई लगाने में आसानी होगी। इसलिए मैंने सीएम कार्यालय में एक आरटीआई लगा दी कि मुझे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सत्तासीन होने से आज तक जितनी भी फाइलें सीएम कार्यालय में आई हैं, उनकी जानकारी दो। यानी सभी अनुभागों के फाइल ओपनिंग और फाइल मूवमेंट रजिस्ट्रर की जानकारी मांग ली।
सीएम कार्यालय से मुझे पत्र मिला कि 1526 पेज की जानकारी है और आप दस्तावेज का मुआयना भी कर सकते हैं। बस, मैं कल सुबह 11 बजे वहां पहुंच गया रजिस्ट्रर का भौतिक निरीक्षण करने। अनुभाग चार के अनुसचिव चिरंजीलाल ने फाइलों की चट्टान आगे कर दी। मैं ठहरा लड़ाकू। मैं 5-5 रुपये के कई सिक्के लेकर वहां गया था। आपको बता दूं कि आरटीआई के तहत यदि आप किसी दस्तावेज का अवलोकन करने गये हैं तो पहले घंटे में आपसे कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। इसके बाद हर एक घंटे के आपको 5 रुपये देने पड़ेंगे। खैर, मैं वहां 7 घंटे रहा, लेकिन भाई लोगों ने मुझसे एक रुपया भी वेटिंग चार्ज नहीं लिया। महज दस्तावेजों की फोटो कापी के पैसे देने पड़े।
मुझे चम्पावत निवासी सेक्शन आफिसर खिलानंद जोशी के 313 नंबर कमरे में एक टेबल-कुर्सी उपलब्ध करा दी। इस कमरे में तीन समीक्षा अधिकारी जयपाल, वर्षा और विनोद पंखे के नीचे बैठते हैं। वर्षा पीसीएस की तैयारी भी कर रही है। सेक्शन आफिसर खिलानंद जोशी ने चाय और पिलाई। दोपहर का खाना इंद्रा अम्मा कैंटीन से खाया और शाम की चाय मुख्यमंत्री के अपर सचिव ललित मोहन रयाल जी ने पिला दी। सीएम कार्यालय जाओ तो पीने के पानी की उम्मीद मत करना। वहां गिलास ही नहीं हैं। सीएम कार्यालय के तीसरे फ्लोर पर एसी की सुविधा भी नहीं है। गर्मी से परेशान टेबल पर बैठ कर पन्ने पर पन्ने पलटता रहा। नोट करता रहा। लगभग एक हजार पन्नों पर अनुभाग चार की रिपोर्ट थी। पन्नों पर फाइलों की कुछ रोचक जानकारी मिली। जो मैं अलग से बताऊंगा।
बीच-बीच में मैं उन्हें सरकार और मंत्रियों की कारगुजारियों के बारे में भी बता रहा था तो सब चुपचाप सुन रहे थे और हंस रहे थे। कोई टिप्पणी नहीं कर रहा था। हालांकि वहां न तो कैमरा नजर आया और ही रिकार्डिंग का डर था। हो सकता है कि खुलकर इसलिए नहीं बोले हों कि पत्रकार हूं।
अब यह भी जानकारी दे दूं, कि सीएम कार्यालय में 6 अनुभाग हैं। अनुभाग एक में विधायक, मंत्री और सांसदों के पत्र, अनुभाग दो में साधारण संदर्भ, अनुभाग तीन में विवेकाधीन कोष अनुभाग चार में घोषणाए, अनुभाग पांच में शिकायती पत्र और अनुभाग छह में राहत और एकाउंट हैं।
विचारणीय है कि सरकार डिजिटलाइजेशन की बात कर रही है लेकिन सीएम कार्यालय के तीन अनुभागों में आज भी कलम घिसी जा रही है। इस दौरान सीएम आफिस के लोगों को व्यवहार बहुत ही मित्रतापूर्ण रहा। आलम यह रहा कि लोक सूचना अधिकारी चिरंजीलाल आफिस समय खत्म होने के आधे घंटे बाद ही घर जा सके, क्योंकि वह मुझे जो जानकारी दी गयी थी उसकी चिट्ठी बनाने में व्यस्त थे। सात घंटे तक फाइलों से जूझने के बाद आखिरकार मुझे जरूरी जानकारियां हासिल हो गयी। अब मुझे कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी की विदेश यात्रा की जानकारी लेनी है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

पुरस्कार के शब्द नश्तर की तरह चुभते हैं

 

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