पौड़ी के सीईओ ने सही किया या गलत?

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  • क्या शीतल रावत है बेगुनाह? क्या बनी वो साजिश का शिकार?
  • शिक्षा विभाग में ये क्या हो रहा है? गजब हाल है।

पौड़ी की शिक्षिका शीतल रावत मामले में एक नया मोड़ आ गया है। शीतल रावत को एक ओर संस्पैंड कर दिया गया है तो दूसरी ओर उसका दावा है कि वह आनडयूटी थी और उसका पक्ष जाने बिना ही संस्पैंड कर दिया गया। प्रभारी खंड शिक्षा अधिकारी बेसिक ने उसे सस्पैंड किया। चार्जशीट तैयार हो रही है। अब कुछ अलग चार्जशीट हो सकती है। मसलन कि मधु रावत को कैसे और किसकी अनुमति से रखा गया? क्यों उसे यह टीचर अपनी जेब से वेतन दे रही थी? इस बीच राजकीय शिक्षक संघ भी सक्रिय हो गया है। उनका आरोप है कि शीतल के अनुपस्थित रहने का ठोस आधार नहीं मिल सका तो मामला मोड दिया गया।
पौड़ी के मुख्य शिक्षा अधिकारी आनंद भारद्वाज ने कल अचानक ही थैलीसैंण ब्लाक के बग्वाड़ी के प्राथमिक विद्यालय का औचक निरीक्षण किया गया। इसमें प्रभारी प्रधानाध्यापिका शीतल रावत स्कूल में मौजूद नहीं थी। सीईओ ने कल ही आख्या मांगी। पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और आज प्रभारी उप शिक्षा अधिकारी बेसिक शाबेद आलम ने बिना चार्जशीट दिये ही शीतल को सस्पैंड कर दिया।
क्या यह तर्कसंगत है कि जिसे संस्पैंड किया जा रहा हो, उसकी बात हीं नहीं सुनी जाए। जब आख्या मांगी तो आरोपी के स्पष्टीकरण का इंतजार करना जरूरी नहीं था? इस संबंध में मैंने शीतल रावत का पक्ष जानना चाहा तो उसने दावा किया कि वह थैलीसैंण में चल रहे ब्लाकस्तरीय खेल प्रतियोगिता में शामिल थी। यानी आनडयूटी थी। इस संबंध में उसने वह प्रस्ताव भी उपलब्ध कराया है जो कि खंड शिक्षा अधिकारी विवेक सिंह पंवार की अध्यक्षता में हुआ। खेल प्रतियोगिता में वह स्वागत एवं आवास समिति में शामिल थी। इस संबंध में मैंने एक अन्य शिक्षक से बात की, उसका दावा है कि वह वहां मौजूद थी। शीतल का कहना है कि उससे कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला। उसका दावा है कि हाजिरी रजिस्टर में भी लिखा है कि तीन दिन तक थैलीसैंण में आयोजित खेल प्रतियोगिता में मौजूद रहेगी।
मधु रावत की नियुक्ति के संबंध में उसका कहना है कि मधु की तैनाती नियमानुसार पीटीए ने की। उस समय वह स्कूल में अकेली अध्यापिका थी। अब एक और अध्यापिका आ गयी। वह कहती है कि एफएमसी के आधार तैनात किया गया था। गलती यह है कि जब वहां दो टीचर हो गयी तो मधु को हटाना था। हम हटा भी रहे थे कि ग्रामीणों ने जिनमें ग्राम प्रधान भी शामिल था, ने अनुरोध किया कि मधु को नौकरी पर रहने दें। शीतल के मुताबिक मधु को दोनों शिक्षिकाएं अपनी जेब से 1250 -1250 रुपये वेतन देती हैं। पहले पीटीए भी 2250 रुपये देते थे, और 250 रुपये महीना शीतल देती थी।
इस संबंध में जब मैंने सीईओ आनंद भारद्वाज से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्होंने आख्या मांगी थी लेकिन खंड शिक्षा अधिकारी बेसिक ने शीतल रावत को संस्पैंड कर दिया गया है। वह कहते हैं कि चार्ज शीट दी जा रही है। संस्पेंशन सजा नहीं है। मैंने पूछा ऐसी क्या जांच हो रही है जो प्रभावित हो। उनका तर्क था कि मधु को बिना इजाजत रखा गया। प्राइमरी स्कूलों में पीटीए नहीं होती है। यह नियम विरुद्ध है। बच्चों ने भी कहा कि शीतल मैम कम ही स्कूल आती हैं। दूसरी बात, जांच की जा रही है कि क्या थोक में हाजिरी तो नहीं लगती। अब इंतजार है जांच रिपोर्ट का।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

‘शीतल‘ ने मधु को सशक्त बना दिया

 

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