गंगा तट पर मिले हरक-प्रेम, नैतिकता के नाम पर नोक-झोंक

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हरक बोले, नैतिकता नहीं है क्या? इस्तीफा क्यों नहीं देते?
प्रेम ने दिया जवाब, क्यों मांग रहे बार-बार इस्तीफा? क्यों दूं इस्तीफा, सब नियमानुसार हुआ। नैतिकता का इसमें क्या सवाल?
हरक बोले, मैंने भी तो दिया था नैतिकता के आधार पर इस्तीफा
प्रेम बोले, वो तो जैनी मामले में दिया था।
हरक बोले, वह षडयंत्र था, फिर भी दिया।
प्रेम बोले, तुम 30 साल मंत्री रहे, मुझे 30 दिन तो रहने दो।
हरक मुस्करा दिये, प्रेम भी चलते बने। नैतिकता की बात अब बेमानी है।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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