अब ‘जगाडू‘ ही बन सकते हैं वाइस चांसलर

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file photo source: social media
  • श्रीदेव सुमन विवि के वीसी के लिए होगा इंटरव्यू, मेरिट कोई मायने नहीं
  • विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा को मटियामेट करने में जुटी सरकार

उत्तराखंड में स्कूली शिक्षा का बुरा हाल है। जब से धन सिंह रावत शिक्षा मंत्री बने हैं, उच्च शिक्षा का भी बेड़ा गर्क हो रहा है। भाजपा चाहती है कि विश्वविद्यालय का वाइस चांसलर भी नेताओं की पसंद का बने। इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं कि अम्ब्रेला एक्ट लागू हो जाएं। दो बार यह एक्ट गर्वनर के पास भेजा जा चुका है, लेकिन पूर्व गर्वनर बेबी रानी मौर्य और मौजूदा गर्वनर ने अभी इसे पास नहीं किया है। इसके बावजूद भाजपा सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों की प्रतिष्ठा को मटियामेट करने पर तुली है। इसका उदाहरण श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर की चयन प्रक्रिया से लगाया जा सकता है।
श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के वीसी डा. पीपी ध्यानी रिटायर हो गये। इसके बाद सरकार नये वीसी की तलाश कर रही है। पहले यह काम सर्च कमेटी करती थी। इसका चेयरमैन कोई एकेडिमिक हस्ती होता था। इस बार आईएएस अधिकारी राकेश कुमार को चेयरमैन बना दिया। सचिव शैलेष बगोली सदस्य हैं और एक जम्मू-कश्मीर विवि का सदस्य। वीसी के लिए कम से कम 10 साल प्रोफेसर पद पर काम होना चाहिए। प्रोफेसरों में सरकार के इस निर्णय से सदमा सा लगा है कि आईएएस अधिकारी वीसी का चयन करेगा। आईएएस की योग्यता महज स्नातक होती है।
कुलपति पद बहुत प्रतिष्ठित होता है। लेकिन उत्तराखंड में दो वाइस चांसलर दून विवि के डा. सीएस नौटियाल और अल्मोड़ा विवि के नरेंद्र भंडारी को न्यायालय ने अयोग्य घोषित कर दिया। इसके अलावा अभी एक और वीसी का मामला अदालत में विचाराधीन है। इसके बावजूद उच्च शिक्षा विभाग चेत नहीं रहा है। वीसी नियुक्त करने में मनमानी करने के लिए धन सिंह रावत ने अम्ब्रेला एक्ट बनवाया। इसे सदन में पारित कर राजभवन भेजा गया। इसमें प्रावधान है कि वीसी की नियुक्ति में गर्वनर की पावर खत्म कर सरकार को पावर दे दी है कि जिसे सरकार चाहेगी, उसे वाइस चांसलर बना देगी। मेरिट का कोई स्थान नहीं होगा। तत्कालीन गर्वनर बेबी रानी मौर्य ने इसको लौटा दिया। इसके बाद सदन में इसे दोबारा पास किया गया और अब यह एक्ट राजभवन में लंबित है। यानी सरकार उच्च शिक्षण संस्थानों में सीधे तौर पर दखल चाहती है।
प्रोफेसरों को इससे भी अपमानजनक बात यह लग रही है कि आईएएस राकेश कुमार ने वीसी की दौड़ में शामिल 30 से अधिक प्रोफेसरों को इंटरव्यू के लिए हरिद्वार लोकसेवा आयोग में बुलाया है। इंटरव्यू 18 और 19 जनवरी को होगा। जबकि अब तक सर्च कमेटी कुछ ही लोगों को बुलाती थी और उन्हें सचिवालय में बुलाया जाता था। प्रोफेसरों का कहना है कि क्या लेक्चरार का इंटरव्यू हो रहा है कि हरिद्वार जाएं।
गौरतलब है कि सर्च कमेटी तीन नाम राजभवन भेजती है और राज्यपाल इनमें से किसी एक को वाइस चांसलर बना देते हैं। लेकिन अम्ब्रेला एक्ट के बाद सरकार जिसे चाहेगी, राज्यपाल को उसे ही वीसी बनाना होगा। हालांकि एक्ट अभी राजभवन में अटका हुआ है, लेकिन भाजपा सरकार वीसी भी अपनी ही मर्जी का चाहती है। यानी जुगाडू व्यक्ति ही वाइस चांसलर बन सकेगा, योग्यता का मापदंड दूसरे या तीसरे स्थान पर होगा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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