फारूख ने स्कूली नहीं, समाज से ली ‘तालीम‘

215
  • पिता की मौत के बाद मां के हकों की लड़ी लड़ाई
    पोलियो के बावजूद आत्मसम्मान से नहीं किया समझौता

कारगी चौक से महंत इंद्रेश अस्पताल की ओर जाने वाली सड़क पर विद्या विहार के निकट सड़क किनारे एक पालीथीन से बना खोमचा टाइप है। यहां एक छोटी सी भट्टी है जिस पर एक 20-22 साल का नवयुवक मूंगफली गरम करता है। फारूख ने यह जगह तीन हजार रुपये महीने किराए पर ली है। सबसे अहम बात यह है कि फारूख पोलियोग्रस्त है। वह कहता है कि विकलांगता के बावजूद उसने बचपन से ही ठान लिया था कि किसी पर निर्भर नहीं रहना। चेहरे पर मुस्कान लिए वह कहता है कि जब 12 साल की उम्र का था, तो तभी से छोटे-मोटे काम शुरू कर दिये थे। वह गर्व से बताता है कि उसे टेलरिंग भी आती है और कोट को सिलाई के लिए काटना भी आता है। घर की माली हालत ठीक नहीं थी तो वह स्कूल नहीं जा सका। लेकिन वह कहता है कि दुनिया ने बहुत कुछ सिखा दिया है तो जीना आ गया है।
मुरादाबाद में जन्में फारूख बताता है कि जब वह पांच साल का था तो दाहिने पैर ने अचानक ही काम करना बंद कर दिया था। पैर तेजी से पतला हुआ और उसमें जान चली गयी। इसके बाद उसे बैशाखी का सहारा लेना पड़ा। फारूख के पांच भाई हैं। दो बड़े हैं। एक बहन भी है जिसकी शादी हो गयी।
फारूख और उसके परिवार पर संकट उस समय आ गया जब अचानक ही उसके पिता की मौत हो गयी। पिता की मौत के बाद दादा ने उसकी मां को संपत्ति के अधिकार से वंचित करते हुए घर से निकलने का फरमान जारी कर दिया। फारूख के अनुसार मां गृहणी थी और छह बच्चे थे। कहां जाते? कैसे जीवन यापन होता। तो भाइयों ने मिलकर दादा से लड़ाई लड़ी कि पुश्तैनी घर में रहने का हक उनकी मां को मिलना चाहिए। हक की लड़ाई में फारूख और उसके भाइयों की जीत हुई। लेकिन भाइयों ने तय कर लिया कि अब आत्मनिर्भर बनना है।
फारूख 12 साल की उम्र में ही बड़ा हो गया। घर चलाने में भाइयों का हाथ बंटाने लगा। 2010 में मुरादाबाद से देहरादून आ गये। इसके बाद संघर्ष का सफर हुआ। मैंने पूछा, शादी का क्या सोचा? मुस्करा कर बोला, अभी संघर्ष जारी है। मूंगफली-गजक का सीजन जाएगा तो क्या करेगा? इस सवाल पर बोला, फिलहाल सोचा नहीं, लेकिन कुछ तो कर ही लूंगा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

डा. मोनिका बहुत ही मासूम है, उसे छोड़ दो प्लीज!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here