अपने हरदा इतनी ठंड में भी गैरसैंण जा पहुंचे और विधानसभा गेट पर धरना दे दिया। वक्त का चक्र है कि जो जवान उन्हें सलाम करते थे, वही उन्हें गेट से अंदर घुसने से नहीं दे रहे। लेकिन उनके जूझने के जज्बे को सलाम है। इधर, महाराष्ट्र में गजब ढा रहे महामहिम भगतदा इतने कर्मठ हैं कि वह कह रहे हैं कि उन्हें अब ईश्वर का ध्यान करना है, मोया-माया बेकार की बात है, वह पद छोड़कर आना चाहते हैं, लेकिन मोदी जी की आदत ठहरी, न खाउंगा, न खाने दूंगा। तो उन्हें चैन से रहने भी नहीं दिया जा रहा, और पद भी नहीं छोड़ने दिया जा रहा। वहीं, काशी सिंह ऐरी उम्र के इस पड़ाव में भी मजबूती के साथ यूकेडी के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं। मजाल क्या है कि किसी को जोड़ा हो, तोड़ मरोड़ भले ही दिया हो। और भी कई बुजुर्ग हैं जो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन हमारे युवा तो दुत्कार के हकदार हैं।
इतना पढ़-लिखकर भी मां-बाप को कर्ज में डुबो रहे हैं। शार्ट कट तरीके से पैसे देकर नौकरी पा रहे हैं। जो पैसे नहीं दे पा रहे हैं वह ड्रीम इलेवन पर टीम बना रहे हैं ताकि जुए के पैसे इकटठे हों और हाकिम को दे सकें। शेष कुछ ऐसी प्रवृत्ति के युवा हैं जो रजाई के अंदर ही वाटसएप, इंस्टा पर प्यार की पींगें बढ़ा रहे हैं। जोशीमठ डूबे, या सरकार। उन्हें कुछ नहीं लेना-देना। वो नवाब वाजिद अली शाह की तर्ज पर इंतजार कर रहे हैं, जब मुसीबत घर में घुसेगी तब देखेंगे।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]