राज्यपाल के अभिभाषण में रोडमैप की दिखी कमी

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  • 49 बिंदुओं पर ‘किया जा रहा है, कार्यवाही गतिमान है, का ही उल्लेख
  • सरकार ने पिछले 6 साल क्या किया और क्या करेगी, पता ही नहीं

गैरसैंण में बजट सत्र चल रहा है। जब तक पोस्ट करूंगा, तब तक संभवतः सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित भी हो सकता है। मौसम खराब हो रहा है और कल के लिए भी आरेंज अलर्ट है। माननीय खतरे में क्यों रहें? इसलिए रात को सामान समेटने की तैयारी करेंगे।
फिलहाल बात बजट स़त्र के लिए राज्यपाल गुरमीत सिंह के अभिभाषण की। 17 पेजों के इस अभिभाषण में 49 बिन्दुओं पर सरकार का बखान है। गजब की बात यह है कि अभिभाषण जिसने भी तैयार किया है, उसने संभवतः पहली बार बनाया होगा। अभिभाषण की भाषा गजब की है। अधिकांश बिंदुओं पर ‘किया जा रहा है‘, ‘कार्रवाई गतिमान है‘। अभिभाषण का प्रारूप ‘न तो भूतो, न भविष्यते‘ की तर्ज पर तैयार किया गया है।
बता दूं कि संविधान के अनुछेद 176 के तहत राज्यपाल, विधानसभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के आरम्भ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में विधानसभा में या विधान परिषद वाले राज्य की दशा में एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण करता है। और विधान-मण्डल को उसके आह्वान के कारण बताएगा। इसके अलावा सदन या प्रत्येक सदन की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों द्वारा ऐसे अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों की चर्चा के लिए समय नियत करने के लिए उपबन्ध किया जाएगा।
मजेदार बात यह है कि राज्यपाल के अभिभाषण में भाजपा ने पिछले 6 साल में क्या किया? इसका कोई उल्लेख नहीं है। न ही यह स्पष्ट उल्लेख है कि क्या करेंगे? अभिभाषण में भाजपा सरकार को पिछले 6 साल में क्या विशेष उपलब्धियां हासिल की का उल्लेख होना चाहिए था और भविष्य का रोडमैप भी। अभिभाषण मात्र वर्तमान पर ही केंद्रित रहा।
वैसे भी जब अभिभाषण हो रहा था तो कांग्रेसी शोर मचा रहे थे। जो कि सदन की गरिमा के अनुकूल नहीं था। कांग्रेसी चाहते तो अभिभाषण को लेकर सरकार को घेर सकते थे, लेकिन वहंा भी तो अधिकांश प्रापर्टी डीलर या ठेकेदार ही हैं। ऐसे में अभिभाषण पढ़ता कौन?
यह भी हंसी की बात है कि सीएम धामी अभिभाषण को राज्य के विकास का रोडमैप बता रहे हैं, लेकिन पीछे सरकार ने किया क्या? उन्हें भी नहंी पता। यह बात मैं अभिभाषण पढ़कर कह सकता हूं। प्रदेश राम भरोसे चल रहा है और उम्मीद है कि यूं ही चलता रहेगा।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

जो लोग कहते हैं कि मैं नास्तिक हूं, उनके लिए यह कथा!

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