लो जी, बीडी सिंह की भी फिर बैक डोर से हो गयी बीकेटीसी में इंट्री

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  • बने सीएम के सलाहकार, क्या भुट्टे बेचेंगे बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय?
  • वेतन नहीं लेंगे, लेकिन घोड़ा गाड़ी तो चलेगी ही

अपने बीडी सिंह आपको याद होंगे। बीकेटीसी के सीईओ थे। भारतीय वन सेवा से डेप्यूटेशन पर बीकेटीसी में गये और फिर तो ऐसे गये कि जब विवादों में फंसे तो आनन-फानन में वीआरएस ले ली। इसके बाद सीधे अंबानी के रिलायंस ग्रुप में गये और जबरदस्त जुगाड़बाजी कर वापस बीकेटीसी और चारधाम में सीएम सलाहकार बन गये। यानी सीधी सी बात है अंबानी कनेक्शन काम आया। याद होगा कि त्रिवेंद्र चचा के समय अंबानी के बेटे को भी देवस्थानम बोर्ड का एक्सक्यूटिव मेम्बर बना लिया गया था। शासन ने बीडी सिंह के संबंध में आदेश भी जारी कर दिये हैं। उन्हें अवैतनिक सलाहकार चुना है। लेकिन कक्ष और कार देने का प्रावधान किया है।
कितनी विडम्बना है कि एक ओर बेरोजगार युवा सड़क पर भटक रहे हैं और दूसरी ओर बीडी सिंह जैसे रिटायर लोगों को सरकार बोझ के तौर पर नियुक्त कर रही है। बीडी सिंह पर भ्रष्टाचार के मामले की जांच चल रही है। इसके बावजूद उन्हें बीकेटीसी का अप्रत्यक्ष कंट्रोल सौंप दिया गया है। ऐसे में अध्यक्ष अजेंद्र अजय और सीईओ योगेंद्र सिंह को अब बारी-बारी से बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर परिसर में भुट्टे बेचने पड़ सकते हैं।
अहम बात तो यह भी है कि बीडी सिंह की नियुक्ति में शासन ने बीकेटीसी अधिनियम को ठेंगे पर रख दिया। एक्ट में इस पद का कोई प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद सीएम आफिस ने एक्ट की अनदेखी की है। यानी जबरदस्त जुगाड़बाजी कर ‘सिंह इज किंग‘ बनकर आ गये हैं। इस प्रदेश का कुछ नहीं हो सकता।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

एक कर्नल ऐसा भी

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