मोदी, मोदी, मोदी, मोदी रटा और गुजर गया एक साल

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  • न रोजगार मिला और न महिलाओं की स्थिति सुधरी
  • अंकिता हत्याकांड और पेपर लीक से सरकार की छवि धूमिल

धामी सरकार का एक साल बीत गया। 365 दिनों में लगभग 500 बार हैंडसम धामी सरकार ने यही गीत गाया कि 2025 तक राज्य को अग्रणी राज्य बनाएंगे। कैसे, कोई रोडमैप नहीं है, सिवाए केंद्रीय योजनाओं के और मोदी गुणगान के। सीएम धामी एक दिन में औसतन 17 से 22 बार मोदी, मोदी, मोदी, मोदी करते हैं। इस कारण जनता के पास यह संदेश गया है कि उनके पास अपना कोई विजन नहीं है कि वह राज्य को अग्रणी राज्य की दिशा में ले जा सकें। हो सकता है कि उनकी नीयत साफ हो, लेकिन वह जनता में एक अच्छा संदेश देने में नाकाम रहे हैं कि वह एक अच्छे सीएम हैं।
अब बात युवाओं की। सीएमआईई की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड बेरोजगारी दर तेजी से बढ़ी है। यह दर 4.2 प्रतिशत हो गयी है। सेवायोजन कार्यालय में अब भी 9 लाख पंजीकृत बेरोजगार हैं। हाल में विधानसभा में एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और सार्वजनिक उपक्रमों में कुल मिलाकर 66 हजार पद रिक्त हैं। लेकिन इन पदों पर सरकारी भर्ती नहीं कर रही है। जो भर्तियां की गयी हैं, उनमें भी पेपर लीक हो गये या जांच के दायरे में हैं। विवाद बना हुआ है। 195 रोजगार मेले लगे, लेकिन पांच हजार को भी इनमें रोजगार नहीं मिला।
पेपरलीक कांड और विधानसभा भर्ती प्रकरण के बाद युवाओं के बीच सरकार का संदेश खराब ही गया। इसका कारण यह था कि विधानसभा में बैक डोर मामले में सख्त कदम लेने के बावजूद धामी सरकार बैक डोर मामले में फंसे प्रेमचंद अग्रवाल को हटाने में नाकामयाब रहे। मंत्रियों में धामी की कोई सुनता ही नहीं। सब मनमर्जी कर रहे हैं। युवाओं पर लाठीचार्ज के बाद धामी सरकार की छवि और धूमिल हुई है। युवाओं में आक्रोश बना हुआ है। हालांकि सरकार सख्त नकल कानून लेकर आई है। लेकिन सरकार के इस कदम का कोई खास असर नहीं पड़ा क्योंकि इसके बाद भी युवाओं में भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायत हैं। धामी सरकार ने यह अच्छा किया कि लाठीचार्ज के दौरान युवाओं पर लगाए गये मुकदमे वापस ले लिये। यही उनकी उपलब्धि मानी जा सकती है।
उधर, अंकिता हत्याकांड में सीएम धामी की छवि दागदार हुई है। वीआईपी का नाम उजागर नहीं होना और पुलिस की लचर इंवेस्टीगेशन से भी सरकार की छीछालेदार हुई है। इसके अलावा एनसीआरबी के मुताबिक उत्तराखंड में हर रोज एक लड़की के साथ रेप होता है। इसके अलावा हत्या, उत्पीड़न और अन्य अपराध भी बढ़े हैं। सरकार ने महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप, लखपति दीदी, एनआरएलएम, मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना सिरे नहीं चढ़ी हैं। हालांकि सरकार का प्रयास सराहनीय रहा है कि राज्य की महिलाओं के लिए नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की है। महिला नारी सशक्तीकरण योजना, आंचल अमृत योजनाओं का अता-पता नहीं है। न ही सरकार ने अब तक उन पर कोई रिपोर्ट जारी की है। घस्यारी योजना को लेकर खूब बबाल हुआ था, लेकिन वह योजना भी फाइलों में अटकी हुई है।
नोट – सीएम धामी के एक साल के कार्यकाल पर विभिन्न मुद्दों पर सीरीज जारी रहेगी।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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