बाघ के दो बच्चे, वन विभाग पर भारी

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  • दून में बैठे निकम्मे अफसरों की फौज, कर रही मौज
  • उधर, ग्रामीण दहशत के साये में

बाघ के दो बच्चों ने पौड़ी जिले के रिखणीखाल ब्लाक के 25 गांवों में एक सप्ताह से आतंक का राज कायम किया है। ये बच्चे दो व्यक्तियों की जान ले चुके हैं। जबकि कई मवेशियों पर दिन-दहाड़े हमला कर रहे हैं। वन विभाग की टीम डेरा डाले वहां बैठी है, लेकिन उनके अत्याधुनिक उपकरण और जंग खाए पिंजड़ों में ये बच्चे नहीं फंस रहे।
मैंने आज वन विभाग के अफसरों की लिस्ट देखी। गजब हाल है। यूपी के समय से आठ गुना अफसर बढ़ गये और जंगल घट रहा है। वन विभाग में दो प्रमुख वन संरक्षक हैं तो दो ही अपर वन संरक्षक हैं। आठ मुख्य वन संरक्षक, 13 वन संरक्षक, 33 उप वन संरक्षक, 32 उप निदेशक, 93 सहायक वन संरक्षक, 308 वन क्षेत्राधिकारी, 408 उप वन क्षेत्राधिकारी, 1729 वन दरोगा और 3650 आरक्षी हैं। इसके अलावा भी ढेर सारे पद हैं। यानी वन विभाग में अफसरों की एक बड़ी फौज है। काम धेले का नहीं है। बोझ बने हुए हैं ये अधिकारी। इसके बावजूद हॉफ और पीसीसीएफ के लिए मारामारी है।
मेरा कहना है कि इन अफसरों को कार्बेट के उन इलाकों में रातें गुजारनी चाहिए, जहां बाघ या गुलदार का खतरा है ताकि इन्हें वह आतंक महसूस हो सके, जो ग्रामीण महसूस करते हैं। इनमें से अधिकांश अफसर निकम्मे और भ्रष्ट हैं। निकम्मे अफसर तो देहरादून के राजपुर रोड और मोहिनी रोड के शानदार आफिस में बैठे-बैठ वन संपदा, उप खनिज बेच देते हैं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

आखिर इन दिव्यांग बच्चों की क्यों नहीं सुनी जा रही?

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