- चुनाव से ठीक पहले 70 लोगों की बलि, अब नेता खूब तेज दौडेंगे
जब हलवाई अपनी मिठाई स्वयं नहीं खाता, नदी अपना पानी नहीं पीती तो भाजपा सरकार अपनी आल वैदर सड़क पर क्यों चले जनाब? आपदा में धामी सरकार का इंजन धम्म से बैठ गया तो क्या हुआ? नये ड्राइवर हैं कभी क्लच नहीं लगा तो कभी ब्रेक। इंजन ठप होगा ही।
रही बात आल वैदर रोड की। कैटल क्लास रोड है जनाब। एलीट क्लास तो हेलीकॉप्टर से ही जाएंगे। पहाड़ क्यों खोदे? लो पहाड़ नहीं खोदते, तो आल वैदर रोड नहीं बनती। यदि रोड नहीं बनेगी तो विकास नहीं होगा, ठेकेदारों से लेकर मंत्री तक घूस नहीं पहुंचेगी। जब घूस नहीं पहुंचेगी तो मंत्रियों को कैटल क्लास की तर्ज पर आल वैदर रोड पर चलना होगा तो हवाई सेवा ठप हो जाएगी। आखिर रोजगार भी देना है।
जहां तक सवाल है जान जाने का। गरीब की जान का क्या मोल? दो चार लाख दे दो? आपदा अवसर ही तो लाती है नहीं तो कल दस रुपये की औकात रखने वाला नेता रातों रात करोड़पति यूं नहीं बन जाता। अब चुनाव है तो आपदा अवसर बन आई, नेताओं का चुनाव यूं चुटकी में निकल जाएगा। और लालची जनता दस दिन तक मीट-भात खाएगी। दारू पीएगी और वोट बेच देगी। फिर पांच साल सरकार को कोसेगी। लोकतंत्र का निचोड़ यही है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]