जीवन का अनुभव

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कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बात लौट कर वापस अंदर नहीं जाती है।
इसीलिए बुजुर्गों ने कहा हैं-
सुने अधिक बोले कम और आवेश तथा आक्रोश में तो कदापि नहीं बोलना चाहिए

प्रो. (डॉ) सरोज व्यास
(लेखिका-शिक्षाविद्)
निदेशक, फेयरफील्ड प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान,
(गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय), नई दिल्ली

जीवन का अनुभव

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