जीवन का अनुभव

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बॉस (अधिकारी) के अगाड़ी (आगे अर्थात् नेतृत्व करना) और घोड़े के पिछाड़ी (पीछे अर्थात् पूंछ के बहुत करीब) भूलकर भी नहीं चलना चाहिए।
क्योंकि
अधिकारी को कौन-सी बात कब आहत कर दे और कर्मचारी की छुट्टी हो जाए तथा घोड़ा कब प्रवृत्ति वश दुलत्ती (लात) मार दे और मनुष्य घायल हो जाए? यह कोई नहीं जानता।

प्रो. (डॉ) सरोज व्यास
(लेखिका-शिक्षाविद्)
निदेशक, फेयरफील्ड प्रबंधन एवं तकनीकी संस्थान,
(गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय), नई दिल्ली

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