- गजब की योजना, सेना के बजट में कॉस्ट कटिंग
- चार साल बाद क्या करेंगे अग्निवीर?
मोदी सरकार ने अग्निपथ योजना के माध्यम से एक तीर से दो शिकार किए हैं। एक तो युवाओं को तीन-चार साल के लिए रोजगार दिया जा सकता है और दूसरी ओर सेना के बजट और पेंशन में कटौती होगी। लेकिन यह योजना मुसीबत भी बन सकती है। चार साल बाद 100 में से 25 जवानों को ही रिटेन किया जाएगा। यानी 75 जवान बेरोजगार हो जाएंगे। सेवा के दौरान इन्हें युद्ध में भी भेजा जाएगा। सेना से अर्द्धप्रशिक्षित ये जवान 25 साल की उम्र में रिटायर भी हो जाएंगे।
जब इन्हीं जवानों को समाज में नौकरियां या काम नहीं मिलेगा तो क्या गारंटी है कि ये कानून व्यवस्था के लिए चुनौती नहीं बनेंगे। एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर का कहना है कि चार साल में तो एक सैनिक ढंग का सिपाही बन पाता है। जब तक वह कुछ सीखेगा तो उसे कहा जाएगा कि तू घर जा। सैन्य अफसर दबाव में हैं। मोदी जी कह रहे हैं तो करना ही पड़ेगा। जो कहेंगे वो होगा।
एक पूर्व कर्नल ने कहा कि यही अर्द्धप्रशिक्षित सैनिक जब बेरोजगार होगा तो वह किसी के लिए आसानी से उपलब्ध रहेगा। उनका तर्क था कि गोल्डन टेंपल में जरनल सहबेग सिंह ने इंडियन आर्मी की नाक में दम कर दिया था। लिट्टे को भी भारतीय सेना ने ही प्रशिक्षित किया था। बाद में हुआ क्या?
खैर, भविष्य क्या होगा, कहना जल्दबाजी होगा। लेकिन सैन्य अफसरों का कहना है कि बिना पायलेट परियोजना के यह स्कीम लागू करना जोखिम भरा है।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]