गुप्त नवरात्रि पर कैसे करें माता को प्रसन्न

461

आज दिनांक 30 जून 2022 दिन गुरूवार से नवरात्रि प्रारंभ हो रही जो कि 8 जुलाई 2022 तक रहेगी।
इस दिन ध्रुव योग एवं व्याघात योग बन रहे हैं। जो कि मेष, कर्क, तुला, मकर राशि वाले के लिए शुभ रहेंगे।
गुप्त नवरात्रि का महत्व उतना ही होता है जितना बाकी नवरात्रि का होता है अतः इस अवधि में साधना और भक्ति के साथ माता के 9 रूपों की पूजा अर्चना साधना करनी चाहिए।
नवरात्रि में क्या करे…
1. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर या सायंकाल पूजा स्थान में क्लश स्थापना कर करें और गणेश जी स्थापना कर पूजन करें।
2. देवी माता की स्थापना कर पूजा अर्चना धूप, दीप, पुष्प, इत्रादि से पूजन करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इस दिन घट स्थापना व कलश स्थापना का भी महत्व है।
3. इन नौ दिनो में माता के मंत्र –
ऐं ह्रीं क्ली चामुण्डायै विच्चे नमः
का जप जितना हो सकते करना चाहिए लेकिन प्रतिदिन एक निश्चित संख्या में ही जप करना चाहिए व दुर्गासप्तसती का पाठ करना चाहिए।
4. प्रतिदिन माता जी की आरती सुबह और शाम को करनी चाहिए।
5. अंतिम दिन विधिवत हवन पूजन व कन्या भोजन करा कर पूजा का समापन करना चाहिए।
माता की साधना से होगी आपकी मनोकामना पूर्णः
गुप्त नवरात्र में माता के किसी भी एक रूप की पूजा करें। माता के प्रतिमा में चित्र में लाल की चुनरी व सिंदूर अर्पित करें।
नित्य सुबह और शाम को पूजा आरती करें। प्रसाद वितरण करना चाहिए।
पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए जिससे माता प्रसन्न रहती है।
नित्य प्रातः आंगन की सफाई रखने से माता प्रसन्न रहती है।
माता के अन्य रूप-
काली, तारा, त्रिपुर सुन्दरी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बग्लामुखी, मातंगी और कमला देवी माता के इन रूपों में से साधक कोई भी एक रूप की साधना उपासना कर सकता है।
पूजा साधना-
सामान्य गृहस्थ को माता की गुप्त नवरात्रि की पूजा अवश्य करना चाहिए। माता की बहुत सी साधना विधि है जो साधना नहीं कर सकते वह माता के 32 नामों का पाठ अपनी सामर्थ्य अनुसार 5, 11, 21 बार पाठ करना चाहिए।
साधना में सावधानीः
1. साधक 9 दिनों तक साधना के संकल्प लेकर ही साधना करे।
2. सर्वप्रथम गणेश पूजन के पश्चात गुरू पूजन करना चाहिए फिर जिस देवी या देवता की पूजा करना उनकी पूजा करना चाहिए।
3. साधना या संकल्प बीच में नहंीं तोडना चाहिए।
4. मन में बुरे विचारों का चिंतन व मनन नहीं करना चाहिए।
5. गलत लोगों की संगति से बचना चाहिए।
6. छल-कपट अपशब्दों का प्रयोग नहंीं करना चाहिए।
7. ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
8. यदि कहीं बीमार या जरूरी संकट यात्रा की आवश्यकता पड जाती है तो माता से क्षमा याचना कर उपवास तोड सकते हैं, इससे क्षम्य होता है।
9. स्त्रियां रजस्वला काल में साधना रोक सकती है।
10. पहले तो जानबूझ कर गलती नहीं करनी चाहिए। यदि साधना में किसी भी प्रकार की गलती
हो जाए तो माता क्रोधित हो सकती है। गलती हो जाने पर माता से क्षमा याचना कर लेना चाहिए।
11. सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए, तामसिक भोजन से दूरी बना कर रखना चाहिए।
-स्वामी श्रेयानंद महाराज
(सनातन साधक परिवार)

केशवपुरम में एकादश रूद्र जप

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here