जानें, लक्ष्मी पूजन का समय, व्यापार में वृद्धि के लिए करें वास्तु दोष निवारक इन्द्राक्षी लक्ष्मी प्रयोग

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कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सही रूप से देखा जाए तो महारात्रि के रूप में संबोधित किया गया है। क्योकि पूरे वर्ष में लक्ष्मी के पूजन के लिए एक ही दिन निर्धारित किया गया है। अगर जीवन मे लक्ष्मी को आबद्ध करना है तो सही समय पर ज्योतिष के आधार पर काल की सही गणना कर इस वास्तु दोष इन्द्राक्षी लक्ष्मी प्रयोग को करें तो निश्चित ही लक्ष्मी का आगमन होता ही है। मेरे जीवन का अनुभव रहा है और जिसे मैंने इस प्रयोग को संपन्न कराया उसके जीवन में अद्भुत परिवर्तन आया है। उसके व्यापार में लाभ की स्थिति स्वतः ही बनी है। इस प्रयोग का असर पूरे एक वर्ष तक रहता है।

ज्योतिष के आधार पर लक्ष्मी पूजन मुहूर्त:
वृश्चिक लग्नः सुबह 7.49 से 10.06 तक
कुंभ लग्नः दोपहर 1.54 से 3.24 तक
वृषभ लग्न स्थिर शाम 6.30 से 8.26 तक
सिंह लग्नः मध्य रात्रि 12.57 से 3.13 तक

वास्तु दोष इन्द्राक्षी लक्ष्मी की साधना पूजा किसे करनी चाहिए?
जब आपके पास धन की कमी हो, प्रयत्न करने के बाद भी व्यापार मे उन्नति नही हो रही हो। पैसा तो आता है पर घर पर नहीं रूकता। हमेशा आर्थिक अभाव बना रहता हों। परिवार में स्वास्थ्य की परेशानी रहती हो। घर में पति-पत्नी के बीच कलह को वातावरण बना रहता हो। तो आपको यह प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

इन्द्राक्षी लक्ष्मी पूजन से पहले सामान्य लक्ष्मी माता की पूजन सामान्य विधि से कर लें।

लक्ष्मी पूजा की विधिः
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से पहले पूरे घर की साफ-सफाई कर लें। घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
-घर को अच्छे से सजाएं और मुख्य द्वार पर रंगोली बना लें।
-चौकी के पास जल से भरा कलश रख दें।
-पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर वहां देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
-माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
-दीपक जलाकर जल, मौली, गुड़, हल्दी, चावल, फल, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें।
-इसके बाद माता सरस्वती, मां काली, श्री हरि और कुबेर देव की विधि विधान पूजा करें।
-महालक्ष्मी पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरणों की पूजा करें।
-अंत में माता लक्ष्मी की आरती जरूर करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।
-प्रसाद घर-परिवार के सभी सदस्यों में बांट दें।

इन्द्राक्षी लक्ष्मी पूजनः
इन्द्राक्षी लक्ष्मी पूजन सिंह लग्न में की जाती है जो मध्य रात्रि 12.57 से 3.13 तक को है इस समय में आप लक्ष्मी माता की फोटो के सामने एक लाल वस्त्र बिछा लें उस पर लाल चावल से अष्ट कमलदल का निर्माण करें। उसके ऊपर कुछ सिक्के तथा धनतेरस को लाए 21 गोमती चक्र को चक्रों के बीच स्थापित करें। बीच में इन्द्राक्षी लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें। यंत्र के चारों ओर 11 कमलगट्टे के बीजों को रख दें। घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें। उत्तर या पूर्व की ओर मुंह करके बैठें।
दिए मंत्र की 21 माला जप करें। यदि आप स्वयं नहीं कर सकते तो घर के किसी सदस्य से इसको संपन्न करा लेना चाहिए।

मंत्र:
ऊं श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।

मंत्र जप पूरे होने के बाद लाल कपडे में बाकी सामग्री को बांध दें, जिसे अगले दिन बहते जल में प्रवाहित कर दें। और यंत्र को पूजा स्थान में या व्यापार स्थल में स्थापित करें।

वास्तु दोष इन्द्राक्षी यंत्र जहां स्थापित रहता है। उसका प्रभाव स्वतः ही देखने मे मिलता है और व्यापार में लाभ होने लगता है। परिवार में आपसी मतभेद धीरे-धीरे खत्म हो जाते हैं। पति-पत्नी में आपस में आकर्षण बना रहता है। जिस प्रकार सुगंधित अगरबत्ती को जलाने मात्र से ही सारा वातावरण सुगंध से आनन्द से भर जाता है ऐसे ही वास्तु दोष निवारण इंद्राक्षी यंत्र जहां स्थापित होता है स्वतः ही अपना प्रभाव दिखाता ही है।

साधना से संबंधित जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैः
-स्वामी श्रेयानन्द महाराज (सनातन साधक परिवार)
मो. 9752626564

आज रात 11 बजे के बाद यह छोटा-सा प्रयोग सालभर करेगा आपकी सुरक्षा

 

 

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