जानें कौन होते हैं कोविड इडियट, और कैसे पहुंच जाते हैं मौत के मुंह में

684

पलवल, 28 जून। देश में कोरोना को लेकर लोगों में कितनी जागरुकता है। ये सब मई के महीने में पूरे विश्व ने देख लिया। चहुंओर चिताओं से उठता धुआं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण था। इसमें से ज्यादातर मौतें जहां ऑक्सीजन की कमी से हुईं, वहीं सही समय पर इलाज ना करवाना भी रहा। कोरोना के खतरे को पहचनाते हुए भी समय पर सही इलाज ना करवाने वाले लोगों को कोविड इडियट ही कहा जा सकता है। डॉक्टर सुषमा चौधरी इस तरह इन कोविड इडियट के जीवन चक्र को बखूबी दर्शा रही हैं…
बीमार होने से पहले बिना मास्क के भीड़ में घूमना, वैक्सीन नहीं लेना, कोविड जैसी कोई चीज नहीं होती।
बुखार का पहला दिन:-
यह बुखार है, आसानी से ठीक हो जाएगा, मुझे कोविड तो हो ही नहीं सकता, क्योंकि इस नाम की कोई बीमारी है ही नहीं।
बुखार का दूसरा दिन:-
हर बुखार कोविड थोड़े होता है, लेकिन फिर भी पैरासिटामोल खा लेता हूं।
बुखार का तीसरा दिन:-
कोविड टेस्ट करवा के क्या होगा, सीधे सीटी स्कैन करवा लेता हूं। (सिर्फ 2-3 दिन में सीटी स्कैन में कुछ खास नहीं आएगा, तो कोविड इडियट कहेगा कि कोरोना नहीं है)।
बुखार का चौथा दिन:-
यह बुखार तो पीछे ही पड़ गया, चलो ब्लड टेस्ट करवा लेते हैं। डॉक्टर को पैसे क्यों देना है, वो भी तो यही सब टेस्ट करवाएगा। (टेस्ट में टाईफाइड फाल्स पॉजिटिव आएगा, क्योंकि वह क्रॉस-रिएक्टिव है)।
बुखार का पांचवा दिन:-
मैंने पहले ही कहा था कि यह टाईफाइड है, अब डॉक्टर को 300 रुपये क्यो दें, कुछ एंटीबॉयोटिक खरीद के खा लेते हैं।
बुखार का छठा दिन:-
अभी कल ही तो एंटीबॉयोटिक शुरू किया है, ठीक होने में थोड़ा समय तो लगेगा।
बुखार का सातवां दिन:-
यह बुखार तो पीछे ही पड़ गया। एक मित्र डॉक्टर है, उससे पूछते हैं। कुछ देर बाद, यह डॉक्टर सब का लैब में कमीशन होता है, देखो पीसीआर टेस्ट के लिए बोल रहा है। उसकी रिपोर्ट में भी 1-2 दिन लगेगा।
बुखार का आठवां दिन:-
अरे, मुझे सांस लेने में दिक्कत क्यों हो रही है? कोई अस्पताल ले चलो। (लेकिन कोविड रिपोर्ट नहीं है)।
बुखार का नौवां दिन:-
ऑक्सीजन लेवल 95 फीसदी से नीचे जा रहा है, लेकिन कहीं बेड नहीं मिल रहा है।
बुखार का दसवां दिन:-
ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी से नीचे है, बहुत मुश्किल से एक बेड मिला है। लेकिन राहत नहीं है, यह अस्पताल एकदम बेकार है।
बुखार का ग्यारहवां दिन:-
वेंटिलेटर पर गए, अब परिवार वाले डॉक्टरों को दोष दे रहे हैं।
बुखार का बारहवां दिन:-
मरीज की मौत हो चुकी है, बाकी के लोग डॉक्टरों से लड़ते हुए कह रहे हैं कि आप लोगों को कुछ नहीं आता, दो हफ्ते पहले स्वस्थ आदमी की जान ले ली। इसी बीच कुछ और लोग इसी जीवन चक्र की तैयारी में लगे हुए हैं।

पल्स पोलियो रोधी दवा से न छूटे कोई भी बच्चा: दीपक मंगला

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here