राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस आयोजित

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शिमला, 21 अप्रैल। एपीजी शिमला विश्वविद्यालय में आज राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस 2023 पीआरएसआई शिमला चैप्टर और एपीजी शिमला विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रो चांसलर डॉ रमेश चौहान ने की ।
इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. चौहान ने कहा कि भारत वर्ष एक दिसंबर 2022 से नवंबर 2023 तक शक्तिशाली समूह जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर विशेषज्ञ द्वारा वैश्विक देशों के इस बड़े समूह की अध्यक्षता के कई मायने हैं। सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह वैश्विक मंच भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाने की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
डॉ. चौहान ने कहा कि इस समूह में विश्व के तमाम विकसित देश शामिल हैं जिनकी विश्व सकल घरेलू उत्पाद में करीब 85 फीसदी की भागीदारी है, ऐसे में प्रत्येक भारतीय को इस सुनहरे अवसर की अहमियत को पहचानते हुए देश के तेजी से बढ़ते कद को लेकर गौरवान्वित महसूस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत को जी20 की अध्यक्षता मिलना इस बात को दर्शाता है कि भारत वैश्विक ताकतों के बीच विश्व नेता बन कर उभरा है। डॉ. चौहान ने कहा कि भारत प्राचीनकाल से अपने नैतिक और जीवंत उच्च मूल्यों के लिए विश्व भर में विख्यात रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे संत आदि शंकराचार्य ने अपने व्याख्यान से जनमानस को प्रेरित किया और 4 पीठों की स्थापना की।
वरिष्ठ पत्रकार एवं प्राध्यापक डॉ. अश्विनी शर्मा ने उभरते हुए युवा पत्रकारों को आह्वान किया कि वे पत्रकारिता के उच्च मूल्यों और नैतिक सिद्धांतों का अनुसरण करें। उन्होंने कहा कि हाल ही में धर्मशाला में हुए जी-20 सम्मेलन में दूरदराज क्षेत्रों की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पादों को जीत के प्रतिनिधियों को उपहार के तौर पर देखकर हिमाचल की समृद्ध संस्कृति को वैश्विक पटल पर पहुंचाने का सार्थक प्रयास किया गया। इससे हिमाचल की समृद्ध संस्कृति परिलक्षित हुई जिससे जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने पसंद किया।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 से निपटने के लिए भारत में तैयार की गई तीन वैक्सीन ना केवल भारतवर्ष के लोगों के लिए कवच बनी, बल्कि दूसरे देशों के लोगों के लिए भी जीवनदायिनी सिद्ध हुई। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष में तैयार इन तीनों वैक्सीन पर सर्व जन सुखाय, सर्व जन हिताय लिखा हुआ है, यानी सब लोग स्वस्थ और निरोगी रहें। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से वासुदेव कुटुंबकम यानि पूरा विश्व एक परिवार की अवधारणा भारत की संस्कृति की रही है, जिसे हमें भविष्य में भी कायम रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियां हैं और इनका सामना ज्ञान के आदान-प्रदान से होना चाहिए।
संचार एवं प्रबंधन संस्थान सोलन के निदेशक डॉ बृजेंद्र सिंह पंवार ने जी-20 और इससे जुड़ी गतिविधियों पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि विश्व की अधिकतर सभ्यताएं आपस में परस्पर जुड़ेंगी तथा इससे आर्थिक विकास के विस्तार में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि जी 20 आध्यात्मिक और सुधारवादी विस्तार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और विश्व के कल्याण व विकास में सहयोग दे रहा है।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रबंधन विभाग के आचार्य डॉक्टर प्रमोद शर्मा ने अपने व्याख्यान में कहा कि विश्वास और लोक संपर्क का गहरा रिश्ता है और आज के संदर्भ में आम जनमानस पर मीडिया का विश्वास कम होता जा रहा है जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता में हो रही 215 जी 20 बैठकों से एक परिवार और एक भविष्य की परिकल्पना सार्थक सिद्ध होगी जिससे वसुधैव कुटुंबकम की प्रतिबद्धता और अधिक सुदृढ़ होगी।
आज के परिपेक्षय में भारतवर्ष के मानव संसाधन विकास के लिए भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य
का समुचित प्रबंध होना चाहिए जिससे हमारा देश एक विश्व शक्ति के रूप में उभर कर सामने
आएगा।
आचार्य प्रमोद शर्मा ने बताया कि परिवार किसी समाज व देश के विकास का आधार स्तंभ है तथा आज के परिपेक्क्षय में हमें इसे और मजबूती देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश में आर्थिक एवं राजनीति का परस्पर संबंध है लेकिन आर्थिकी का महत्व अधिक है जो कि राजनीति को भी प्रभावित करता है। उन्होंने जी 20 देशों के समूह को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रभावशाली नीतियों के कार्यान्वयन के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाने पर बल दिया। इसके अतिरिक्त जनसंपर्क को और अधिक मजबूती देने का भी आह्वान किया।
इससे पूर्व शिमला चैप्टर के अध्यक्ष प्रदीप कंवर ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस वर्ष राष्ट्रीय पीआर एसआई द्वारा दिया गया विषय जी 20 और भारतीय मूल्य जनसंपर्क का परिप्रेक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण व प्रासांगिक है। उन्होंने कहा कि अभी 19 व 20 अप्रैल को धर्मशाला में जी-20 का सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें सभी देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
उन्होंने कहा कि पीआरएसआई जिसकी स्थापना वर्ष 1958 में हुई, जनसंपर्क को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय स्तर की संस्था है। उन्होंने कहा कि शिमला चैप्टर वर्ष 2006 में स्थापित हुआ, जिसमें केंद्रीय व राज्य सरकार तथा जनलोक क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों के अतिरिक्त पत्रकारिता एवं जनसंचार के छात्रों एवं अध्यापकों की सदस्यता शामिल है।
इस कार्यशाला में 92 वर्षीय वरिष्ठतम जनसंपर्क कर्मी शिव सिंह चौहान जो कि संस्था के आरंभ से जुड़े हैं, ने भी शिरकत की।
आचार्य राजेंद्र सिंह चौहान कुलपति एपीजी शिमला यूनिवर्सिटी, प्यार सिंह ठाकुर विभागअध्यक्ष, एपीजी शिमला यूनिवर्सिटी, पत्रकारिता एवं जनसंचार के अतिरिक्त कई विभागों के आचार्य व छात्रों ने भाग लिया। पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने जनसंचार माध्यम में हुए परिवर्तन पर आधारित लघु नाटिका प्रस्तुत की। पीआरएसआइ शिमला चैप्टर के सचिव डॉ. रणवीर वर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

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