डॉ. छतलानी ने अकादमिक प्रमाणपत्र में बनाया विश्व रिकार्ड

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डॉ. छतलानी ने विद्यापीठ को गर्वित कियाः प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर, 29 जनवरी। किसी बेहतरीन कार्य को करने के लिए यदि ठान लिया जाए तो हर समय और परिस्थितियां अनुकूल हो जाती हैं। यह संभव कर दिखाया है राजस्थान में उदयपुर के डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी ने। जिन्होंने लॉकडाउन के समय का सद्पयोग करते हुए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्र स्तरीय संगठनों माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, सिस्को, विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि द्वारा विविध अकादमिक विषयों व कार्यकर्मों के ऑनलाइन माध्यम से एक हजार से अधिक प्रमाणपत्र प्राप्त किए।

अंतरराष्ट्रीय संगठन वर्ल्डस ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड्स जो प्रमाणीकरण के साथ दुनिया भर के असाधारण रिकॉर्ड्स को सूचीबद्ध और सत्यापित करता है, द्वारा छतलानी को शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की उच्चतम संख्या के वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड स्थापित करने की मान्यता प्रदान की गई है। यह प्रमाणपत्र वर्ल्डस ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड्स के अधिनिर्णायक द्वारा प्रदान किया गया।
डॉ. चंद्रेश ने कोरोना से लड़ते हुए दो साहित्यिक पुस्तकों का संपादन करने के साथ-साथ शैक्षिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण रणनीतियां और योजनाएं भी स्वतंत्र रूप से बनाई और देश के लॉकडाउन में कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के समय कर्मचारियों/शिक्षकों की मानसिकता पर प्रभाव विषय पर राष्ट्रीय स्तर का शोधकार्य भी सफलता पूर्वक संपन्न किया। उन्हें कोरोना योद्धा सहित कई अन्य सम्मान भी प्राप्त हो चुके हैं। वे राजस्थान विद्यापीठ में सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत हैं।
विद्यापीठ के कुलपति प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत ने डॉ. छतलानी को बधाई देते हुए कहा कि छतलानी विश्वविद्यालय का गौरव हैं और उनके द्वारा किए जा रहे कार्य न केवल विश्वस्तरीय बल्कि अनुकरणीय भी हैं। वे कंप्यूटर विज्ञान के प्रख्यात ज्ञाता और शोधकर्ता होने के साथ-साथ एक अच्छे साहित्यकार भी हैं। कोविड के बाद लंबी बीमारी से संघर्षरत होने के बावजूद भी उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है, जो उनकी प्रतिबद्धता को जाहिर करता है। छतलानी ने स्वतंत्र रूप से 140 से अधिक सॉफ्टवेयर व वेबसाइट का निर्माण भी किया है और वे विश्वविद्यालय के शोध को उन्नत करने हेतु साहित्यिक चोरी पकड़ने के सॉफ्टवेयर का प्रबंधन भी कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त विद्यापीठ के कई प्रमुख कार्यों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
जनसंपर्क अधिकारी डॉ. घनश्याम सिंह भीण्डर के अनुसार इससे पूर्व डॉ. छतलानी को शिक्षा, शोध और साहित्य के क्षेत्र में योगदान के बीस सम्मान प्राप्त हो चुके हैं, उन्होंने नौ पुस्तकों का लेखन और सात का संपादन किया है, साथ ही उनके 27 शोध पत्र प्रकाशित और 40 अन्य शोध पत्र राष्ट्रीय-अतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रस्तुत हुए हैं।

हिप्र की समृद्ध संस्कृति, धरोहर और साहित्य के संरक्षण को प्रतिबद्ध

 

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