ट्रेन की ब्रेक से बनने वाली बिजली से 7 करोड़ की बचत

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विद्युतीकरण से तेजगति की प्रदूषण रहित व किफायती रेल संचलन की सुविधा
गोरखपुर, 18 जनवरी। रेल पथ के विद्युतीकरण से तेजगति की प्रदूषण रहित एवं किफायती रेल संचलन की सुविधा उपलब्ध हो गई है। इसके साथ ही आधुनिक तकनीकि के 3-फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव मंे रिजेनरेटिव ब्रेकिंग की व्यवस्था कर दी गई है, जिससे ब्रेक लगाने के दौरान उत्पन्न होने वाली गतिज ऊर्जा इलेक्ट्रिक ऊर्जा मंें परिवर्तित हो जाती है तथा रेल संचलन में होने वाले खर्च में कमी आती है।
मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार रिजेनरेटिव ब्रेकिंग एक सामान्य ब्रेकिंग व्यवस्था है, जिसमें ट्रेन में ब्रेक लगाने के दौरान उत्पन्न होने वाली गतिज ऊर्जा (काइनेटिक एनर्जी), विद्युत ऊर्जा के रूप मंें परिवर्तित होकर ओवर हेड इक्वीप्मेंट (ओ.ई.एच.) में पहुंचती है, जिसका उपयोग रेल संचलन में उपयोग होने वाली ऊर्जा के रूप में होता है। इस प्रणाली में लोकोमोटिव में पहिये के ब्रेक ब्लॉक के बिना फिजीकल प्रयोग के ब्रेक लगता है। अतः ब्रेक ब्लाक के पहिये पर न लगने से पहिये और ब्रेक ब्लॉक में कोई घिसाव नहीं होता है, इससे भी रेल राजस्व की बचत होती है। रिजेनरेटिव ब्रेकिंग में ट्रैक्शन मोटर, जेनरेटर के रूप में कार्य करता है।
वर्तमान वित्त वर्ष 2021-22 में माह नवंबर 2021 तक कुल 2464 मिलियन यूनिट टैªक्शन ऊर्जा की खपत हुई। रिजेनरेटिव ब्रेकिंग से कुल 15.4 मिलियन यूनिट ऊर्जा का उत्पादन हुआ जिसके माध्यम से 7.08 करोड़ रुपये मूल्य के रेल राजस्व की बचत हुई। इस प्रकार की ब्रेकिंग प्रणाली केवल थ्री-फेज इलेक्ट्रिक लोको में ही उपलब्ध है। पूर्वोत्तर रेलवे पर औसतन 285 इलेक्ट्रिक लोको कार्यरत है, जिसमें 180 थ्री-फेज इलेक्ट्रिक लोको हैं।

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