संघियों से डरना जरूरी, नहीं तो जेल भेज देंगे!

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  • भ्रष्टाचार और हत्या के आरोप पर ही भड़क रहे हैं संघी
  • पत्रकार आशुतोष नेगी को धमकी देने वालों की जल्द हो गिरफ्तारी

कल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एडं मैनेजमेंट में स्वावलंबी भारत अभियान के तहत उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन हुआ। इसमें स्वदेशी जागरण मंच से जुड़े संघी नेता सतीश आए हुए थे। प्रेस कांफ्रेंस शुरू होने से पहले उन्होंने पूछा कि कम ही मीडिया वाले हैं। मैंने कहा कि पत्रकार संघियों से डर रहे हैं। नौकरी भी संघी ले रहे हैं और हत्या के आरोपी भी संघी हैं। इतना सुनते ही महाशय आग-बबूला हो गये। मुझे कहने लगे मैं हूं आरएसएस। मैंने कहा, आप कुछ नहीं हो। मोहन भागवत भी अकेले कुछ नहीं हैं। आरएसएस संस्था है। बहस के दौरान सतीश ने मुझे धमकी दी कि मैं अभी पुलिस को कहता हूं कि तुम पर रेप और मर्डर का केस दर्ज करें। यानी आरएसएस के नेताओं का दिमाग सातवें आसमान पर हैं। उन्हें लगता है कि सत्ता उनके दम पर चल रही है। जो चाहे करें। यानी अन्य कट्टरपंथी यदि धमकाने का काम करें तो वो देशद्रोही और आरएसएस के नेता करें तो वह देशभक्ति या राष्ट्रवाद। संघ के नेताओं से सवाल पूछना ही गुनाह है।
पत्रकार आशुतोष नेगी और अन्य पत्रकारों को जिन्होंने आरएसएस के नेता विनोद आर्य के पुत्र पुलकित आर्य के कारनामे को उजागर करने में अहम भूमिका अदा की तो उन्हें धमकियां दी जा रही हैं। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। मैं इसकी निंदा करता हूं और डीजीपी से मांग करता हूं कि धमकी देने वालों की तुरंत गिरफ्तारी हो।
सच यही है कि संघ के नाम पर कुछ नेता खूब लूट-खसोट और दबंगई कर रहे हैं। उत्तराखंड प्रभारी युद्धवीर यादव की नौकरियों की फर्जी लिस्ट के मामले में पुलिस ने अब तक क्या किया? कुछ नहीं। यानी वो एफआईआर महज इसलिए की गयी थी ताकि संघ के भ्रष्ट और दबंग नेताओं के खिलाफ कोई कुछ न बोलें। यदि संघ के नेता इस तरह की दबंगई और जुर्म करेंगे तो उनके खिलाफ बुलंद आवाज उठेगी।
सत्ता आपकी है तो होश में रहो। ये जनता है, नेता को सिर पर बिठाती है तो दूर कबाड़ में भी फेंक देती है। याद रखना।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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