चारधाम को बना दिया टूरिस्ट हब

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  • सेल्फी प्वाइंट में बदल गये केदारनाथ-बदरीनाथ
  • सरकार श्वेत पत्र जारी कर बताए कि कितनी होती है आय?

मई 2019 को मैं और मोहित डिमरी केदारनाथ गये। हम दोनों फाटा से लेकर सिरसी तक 11 हेलीपैड पर गये। अधिकांश में जनसुविधाएं जीरो। हमें यात्री खेतों की मेढ़ों में बैठे मिले। कुर्सियां तक नहीं थी। न ही खाने-पीने का प्रबंध। फिर भी यात्रियों में हेली से केदारनाथ जाने के लिए मारा-मारी। हर कोई पहले और सुरक्षा की परवाह किये बिना चापर में लदना चाहता है। यहां सिंगल इंजन हेलीकॉप्टर न तो नियमों के तहत 600 मीटर की ऊंचाई लेते हैं और न ही उन्हें यात्रियों की सुरक्षा की परवाह होती। ज्यादा से ज्यादा कमाने के चक्कर में फाटा से उड़ान भर कर केदारनाथ जाते हैं। हेलीकॉप्टर के विंग घूमते हैं। ग्राउंड मेंबर यात्रियों को चलते हेलीकॉप्टर में ही धकेल कर बाहर से दरवाजा बंद कर देते हैं। यानी यात्री चलते विंग से कट मरे, कोई परवाह नहीं, शाटी यानी चक्कर अधिक से अधिक होनी चाहिए। जितनी अधिक शाटी, उतना अधिक लाभ।
उस दिन रविवार था। हम दोनों सिरसी से केदारनाथ के लिए हेलीकॉप्टर में सवार हुए। मैं पायलट के बगल में बैठा था। सिंगल इंजन। उड़ान भरने के बाद सोनप्रयाग और गौरीकुंड के ऊपर से अचानक चॉपर मुड़ गया। मुझे समझ में नहीं आया कि दोबारा सोनप्रयाग क्यों आ गए। कुछ ही मिनट में हम वापस सिरसी हेलीपैड पर थे। मैंने पायलट से पूछा तो वह बोला कि केदारनाथ में मौसम पैक हो गया। यानी दस मिनट में ही केदारनाथ में मौसम बदल गया। हम दूसरे दिन केदारनाथ गये। यानी वहां पल-पल मौसम बदलता है। इसके बावजूद हेली सेवाएं नार्म्स को फालो नहीं करती। जोखिम भरी उड़ान होती हैं।
दरअसल, सिंगल इंजन हेली कंपनियों को लाइसेंस देने में मोटा खेल है। मंत्रियों और अफसरों को उनका हिस्सा मिल जाता है। उन्हें यात्रियों की सुरक्षा से क्या मतलब? श्रद्धालु बाबा केदार भरोसे ही यात्रा करेंगे। बता दूं कि हेली सेवा से केदारनाथ अभयारण्य के वन्यजीवों को खतरा है। यह अल्पाइन कस्तूरी मृग, हिमालयन थार, हिमालयन ग्रिफन, हिमालयन ब्लैक भालू, स्नो लेपर्ड हैं लेकिन हेली सेवाओं के बाद यहां से इन वन्यजीवों का जीना दुश्वार हो गया है।
मैं सरकार से सवाल कर रहा हूं कि चारधाम यात्रा पर श्वेत पत्र जारी करे कि सरकार को 40 लाख श्रद्धालुओं के आने से कितनी आय हुई? पता लगेगा, कुछ भी नहीं। लोग श्रद्धालु का चोला पहनकर यहां मौज-मस्ती करने आ रहे हैं। सरकार की कमाई जीरो और बदले में सरकार को मिलता है ढेर सारा कूड़ा-कचरा और मल। न तो केदारनाथ में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट है और न ही वहां शौचालयों की समुचित व्यवस्था।
केदारनाथ में उस दिन सुबह-सुबह मैं और मोहित दूध गंगा की ओर जा रहे थे तो तीन साधु बीच मंदाकिनी में पॉटी कर रहे थे। मैंने उन्हें ललकारा तो भी नहीं उठे। जब पत्थर फेंका तो ही उठे। यानी गंगा तो केदारनाथ से ही मैली हो रही है। सच भी यही है। चारधाम यात्रा से भले ही कुछ स्थानीय लोगों को रोजगार मिल जाता हो, लेकिन मोटी कमाई बाहरी लोग ही कर रहे हैं। बेकेटीसी में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। ऐसे में सरकार को चारधाम यात्रा से कुल जमा पूंजी का हिसाब यदि साइंस और गणित से लगाया जाएं तो एक व्यक्ति औसतन 178 ग्राम पॉटी करता है, यात्रियों की संख्या से गुणा कर लें। वही जमा-पूंजी है। जबकि मैं लगातार बात कर रहा हूं कि हर श्रद्धालु से सरकार ऋषिकेश में कम से कम 500 रुपये तो चार्ज करें ताकि उनके छोड़े कचरे को साफ करने में सरकार का अपना धन खर्च न हो।
गंगोत्री-यमुनोत्री में किस तरह अवैध कमाई के टोकन चलते हैं। वह मैं अगली कड़ी में बताऊंगा। मैं खुद यहां का गवाह हूं।
[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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