मकर संक्रांति के अवसर पर गांव में 80 साल की मेरी ताई जी ने गांव में स्वाली और पूरी बांटने के लिए ढेर सारा आटा गूंथा। ताईजी कुछ क्षण के लिए बाहर गयी, बंदर आया और आटा लेकर फरार हो गया। अब ताई जी के पास दोबारा इतना आटा गूंथने की ताकत नहीं थी। सो, वह चाह कर भी गांव वालों को वह त्योहार की खुशी नहीं बांट सकी।
गांवों में बंदर अब घर के अंदर बेधड़क आ रहे हैं। जब बंदर आते हैं तो कुत्ते उबर यानी मवेशियों के लिए बने कमरे में छिप जाते हैं। यदि वो बंदरों पर भौंकते हैं तो बंदर चांटे मार-मार कुत्तों का बुरा हाल कर देते हैं। उनके बाल नोंच देते हैं।
यदि नेताओं ने पिछले 20 साल में पहाड़ को बचाने के लिए कुछ किया होता तो यह नौबत नहीं आती।
मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं।
[वरिष्ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]